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गुजरात का मोरबी पुल हादसा ‘एक्ट ऑफ गॉड’ या ‘एक्ट ऑफ फ्रॉड’?

ukgazetteer by ukgazetteer
October 31, 2022
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गुजरात का मोरबी पुल हादसा ‘एक्ट ऑफ गॉड’ या ‘एक्ट ऑफ फ्रॉड’?
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गुजरात का मोरबी पुल हादसा ‘एक्ट ऑफ गॉड’ या ‘एक्ट ऑफ फ्रॉड’?

 

 

देश-विदेश: गुजरात के मोरबी में पुल गिरने से हुए हादसे में मृतकों की संख्या 190 तक पहुँच गई है। नौसेना, एनडीआरएफ, वायुसेना और सेना का बचाव अभियान जारी है। वहीं हादसे को लेकर सवाल उठ भी रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मामले की जांच रिटायर्ड जजों से कराए जाने की मांग उठाई है। साथ ही एक पुराने वीडियो के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासत पर भी सवाल उठ रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि वो हादसे पर किसी तरह की राजनीति नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि मरम्मत के बाद ही ब्रिज गिर गया? इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही इतने लोगों के एक साथ एक समय में ब्रिज पर उपस्थिति का कारण क्या था इसका भी पता लगाया जाना चाहिए। खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में हादसे की जांच की मांग की।

वहीं इस हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सोमवार को अहमदाबाद में होने वाले वाला रोड शो रद्द कर दिया गया है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में राष्ट्रीय एकता दिवस में हिस्सा लिया। इसके बाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने मोरबी हादसे पर दुख जताया और कहा कि आज राष्ट्रीय एकता दिवस हमें इस दुख की घड़ी में एकजुट होकर अपने कर्तव्य पथ पर रहने की संवेदना दे रहा है। मैं यहां एकता नगर में हूं लेकिन मेरा मन मोरबी के पीड़ितों से जुड़ा हुआ है। हादसे में जिन लोगों ने जान गंवाई है मैं उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पुराना वीडियो भी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वे पश्चिम बंगाल चुनाव के समय गिरे एक ब्रिज को सियासत से जोड़ते हुए एक्ट ऑफ़ गॉड बता रहे थे। इस वीडियो के आधार पर अब पीएम मोदी पर सवाल भी उठाये जा रहे हैं कांग्रेस प्रवक्ता गुरदीप सप्पल ने थ्रेड शेयर कर मोदी सरकार के दौरान ब्रिज गिरने, डेम बह जाने और हाई-वे धसने के मामलों को ‘एक्ट ऑफ़ फ्रॉड’ करार दिया है। साथ ही सरकार पर निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है-

गौरतलब है कि मोरबी पुल को रिनोवेशन के लिए 6 माह पहले बंद किया गया था और करीब 2 करोड़ की लागत से इसे रिनोवेट कर 4 दिन पहले ही खोला गया था। पुल को बिना म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के खोला गया था। इस लापरवाही के लिए म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन और उसके अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। हादसे के बाद 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं। हादसा रविवार शाम करीब 6.30 बजे तब हुआ, जब 765 फीट लंबा और महज 4.5 फीट चौड़ा केबल सस्पेंशन ब्रिज टूट गया। पुल करीब 143 साल पुराना है और इसे ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया था।

 

 

 

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