राफेल डील पर सरकार को क्लीन चिट, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सभी पुनर्विचार याचिका : 14 नवंबर
राफेल डील मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को क्लीन चिट दिए जाने के निर्णय पर पुनर्विचार की मांग वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्सीय पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, पुनर्विचार याचिकाएं सुनवायी योग्य नहीं हैं.’
पीठ में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल थे. दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण समेत अन्य लोगों ने ये याचिकाएं लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है.
पिछले साल 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को क्लीन चिट देते राफेल सौदे में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं होने की बात कहते हुए फैसला सुनाया था. कोर्ट ने फैसले में कहा था कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी और उस पर संदेह करने की कोई बात नहीं है.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना के मामले को भी बंद कर दिया. कोर्ट ने राहुल गांधी को भविष्य में सावधानी बरतने की सलाह दी.
राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना का यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनकी टिप्पणी ‘चौकीदार चोर है’ को गलत तरीके से सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहे जाने से संबंधित था. राहुल गांधी के खिलाफ यह अवमानना याचिका भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने दायर की थी.
कर्नाटक में अयोग्य घोषित कांग्रेस-जेडीएस के पूर्व विधायक भाजपा में शामिल, 13 को मिला उपचुनाव का टिकट : 14 नवंबर
कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल, सेक्यूलर (जेडीएस) के 15 बागी विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए, जिनमें से 13 को भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव के लिए टिकट भी दे दिया.
कर्नाटक पार्टी मुख्यालय में आयोजित समारोह में इन्हें भाजपा की सदस्यता दी गई। इस दौरान मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी मौजूद थे। राज्य में पांच दिसंबर को उपचुनाव होना है. ये वही विधायक हैं जिन्हें अयोग्य घोषित करने का पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था.
शीर्ष अदालत ने हालांकि इन इन्हें उपचुनाव लड़ने की इजाजत दे दी थी. कांग्रेस और जेडीएस से बगावत कर कुल 17 विधायकों ने कुछ समय पहले इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते तत्कालीन कांग्रेस-जेडीएस सरकार अल्पमत में आ गई थी और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को इस्तीफा देना पड़ा था. इसी दौरान तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने इन विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था.
राज्य सभा के मार्शलों की नई वर्दी पर विवाद, वेंकैया नायडू ने समीक्षा के आदेश दिए : 19 नवंबर
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन के मार्शलों की नयी वर्दी की समीक्षा के आदेश दिए हैं. इस वर्दी पर कई राजनेताओं और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने एतराज जताया है.
उनका कहना है कि ये सेना की वर्दी से काफी मिलती-जुलती है. वेंकैय्या नायडू ने कहा कि इसके चलते राज्यसभा सचिवालय से इस बदलाव की समीक्षा करने के लिए कहा जाएगा.
बताया जा रहा है कि बीते पांच दशक में मार्शलों की वर्दी में हुआ ये पहला बदलाव है. इसका अनुरोध उन्होंने ही किया था. राज्यसभा में सभापति सहित अन्य पीठासीन अधिकारियों की सहायता के लिये लगभग आधा दर्जन मार्शल तैनात होते हैं.
वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और जियो को 42 हजार करोड़ रुपये की राहत : 21 नवंबर
केंद्र सरकार ने वित्तीय संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को राहत देते हुए स्पेक्ट्रम किस्त का भुगतान दो साल के लिए टालने के प्रस्ताव पर हामी भर दी है. 20 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
इस फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों को 2020-21 और 2021-22 यानी दो साल के लिये स्पेक्ट्रम किस्त के भुगतान से छूट दी गई है. वित्त मंत्री के मुताबिक स्पेक्ट्रम के टले भुगतान को शेष बची किस्तों में बिना समय बढ़ाये बराबर बांटा जायेगा. उन्होंने कहा कि दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम के टले भुगतान पर लागू होने वाले ब्याज का भुगतान करना होगा.
दूरसंचार क्षेत्र हालिया कुछ समय से संकटों से जूझ रहा है. बकाया समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सितंबर तिमाही में दो पुरानी दूरसंचार कंपनियों वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल का सम्मिलित घाटा 74 हजार करोड़ रुपये के पार चला गया.
अकेले वोडाफोन-आइडिया को ही इस तिमाही में 50,921 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. यह किसी भी भारतीय कंपनी को अब तक किसी एक तिमाही में हुआ सबसे बड़ा घाटा है. इसके बाद दूरसंचार क्षेत्र लगातार ही सरकार से राहत देने की मांग कर रहा था.
बताया जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से दूरसंचार कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो को 42,000 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी.
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