बीते रोज तीनों दलों ने देहरादून में प्रेस कांफ्रेस कर यह घोषणा की.
तीनों पार्टियों के राज्य सचिवों ने संयुक्त रुप से चुनाव में उतरने का ऐलान किया.इस दौरान वाम दलों ने ‘भाजपा हराओ,वाम विपक्ष का निर्माण करो’ नारा दिया.
वामपंथी नेताओं ने कहा कि बीते 20 सालों में उत्तराखंड में मजबूत विपक्ष का अभाव रहा, जिसके चलते सूबे में सियासी भ्रष्टाचार हावी रहा.
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि जनतहित के मुद्दे सदन में उठाए जाएं,इसके लिए वामपंथी पार्टियां सदन के भीतर पहुंचना चाहती हैं.
वांमपंथी नेताओं ने मोदी सरकार के कार्यकाल को उत्तराखंड के लिए विनाशकारी करार दिया.
उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी,मंहगाई,शिक्षा,स्वास्थ सेवाओं की जर्जर स्थिति ने आम जन का जीवन दूभर कर दिया है.
और भाजपा राज की मौजूदा पारी भी मुख्यमंत्री बदलने की दास्तान के रुप में याद रखी जाएगी.
57 विधायकों के भारी बहुमत के होते हुए भी भाजपा का एक स्थिर सरकार न दे पाना उसके निकम्मेपन का ठोस उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि भाजपा,कांग्रेस और AAP तीनों पार्टियां सरकार बनाना चाहती हैं,लेकिन वामदल जनहित के सरोकारों को सदन तक पहुंचाना चाहती हैं.
लिहाज़ा वामदलों ने एक मजबूत विपक्ष के निर्माण के लिए जनता से सहयोग की अपील की.
इस दौरान तीनों दलों ने 27 सितंबर को होने वाले किसानों के भारत बंद का समर्थन किया और जनता से भी बंद को सफल बनाने की अपील की.
तीनों पार्टियों ने भाकपा राज्य सचिव समर भंडारी,माकपा राज्य सचिव राजेन्द्र सिंह नेगी व भाकपा(माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा समेत कॉमरेड सुरेंद्र सिंह सजवाण, भाकपा के कॉमरेड अशोक शर्मा, भाकपा(माले) के इन्द्रेश मैखुरी आदि मौजूद रहे.
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