देश और प्रदेश के भी चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि-विधान के साथ आज बंद हो गए. शाम 6:45 पर कपाट बंद होने की प्रक्रिया पूरी हुई. इसी के यात्रा सीज़न का समापन हो गया.
बता दें कि रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने आज तड़के 5 बजे भगवान बदरीनाथ का महाभिषेक कर, फूलों से शृंगार किया. 6.00 बजे बदरीनाथ जी की पूजा शुरू हुई.
6.30 बजे आम श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ जी के दर्शन किए, 10.00 बजे धर्माधिकारियों और वेदपाठियों ने गुप्त मंत्रों का वाचन किया.
इसके बाद दोपहर 2.30 बजे माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की गई और माता की प्रतिमा को बदरीनाथ गर्भगृह में लाया गया. चार बजे कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरु हुई.
कुबेरजी और उद्धवजी को बद्रीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह) से बाहर लाया गया.जबकि माता लक्ष्मी को शीतकाल में छह माह के लिए बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान किया गया.
आईटीबीपी के बैंड धुन के साथ कपाट बंद होने की रस्में हुई. शाम 6:40 पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने भगवान बदरीनाथ से छह माह के लिए विदा मांगी.
शाम 6:45 शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हुए.यात्रा के अंतिम दिन आज 4 हज़ार 3 सौ 36 श्रद्धालुओं ने भगवान बद्रीविशाल के दर्शन किए,
इस दौरान पूरा परिसर बद्रीविशाल के जयकारों से गूंज उठी. अब कल यानि रविवार को रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी,
कुबेरजी और उद्धवजी की उत्सव डोली योग ध्यान बद्री मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी. शीतकाल में 6 माह तक तीर्थयात्री पांडुकेश्वर और जोशीमठ में भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर सकेंगे.
गौरतलब है कि इस बार यात्रा सीज़न में 5 लाख से ज्यादा तीर्थ यात्री चारधाम पहुंचे. कुल 5 लाख 6 हजार 240 तीर्थयात्रियों ने चारधाम में शीश नवाया.
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