कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में हाहाकार मचाया हुआ है. तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोना वायरस संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. भारत की बात करें तो अब तक 71 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
इस बीच कोरोना महामारी को लेकर एक आशंका जताई जा रही है कि सर्दियों के मौसम में वायरस का संक्रमण और तेजी से फैल सकता है.
मीडिया में आई कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सर्दियों के मौसम में कोरोना वायरस का प्रकोप और बढ़ सकता है. बीते रविवार (11 अक्टूबर ) को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि भारत में भी ऐसी आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.
रविवार को आयोजित होने वाले सोशल मीडिया इंटरेक्शन कार्यक्रम ‘संडे संवाद’ में उन्होंने कहा कि सॉर्स कोव-2 (SARS-CoV-2) एक रेस्पिरेट्री वायरस है और इस तरह के वायरस ठंड के मौसम में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं.
उन्होंने कहा कि रेस्पिरेट्री वायरस ठंड के मौसम और कम आर्द्रता की स्थिति में तेजी से पनपते हैं. ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि सर्दियों के मौसम में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या में तेजी आ सकती है.
डॉक्टर हर्षवर्धन ने ब्रिटेन तथा अन्य यूरोपीय देशों का जिक्र करते हुए कहा कि सर्दियों के मौसम में वहां कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी.
डॉक्टर हर्षवर्धन ने अपल की कि सर्दियों के मौसम में लोग ज्यादा सावधानी बरतें. उन्होंने कहा, ‘इसे मेरी चेतावनी समझ लें या फिर सलाह, लेकिन अगर त्योहारों के दौरान हमने लापरवाही बरती तो कोरोना फिर से विकराल हो जाएगा.’
कोरोना से निपटने के प्रयासों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि देश में वैज्ञानिकों की उच्च स्तरीय टीम कोरोना वैक्सीन तैयार करने की दिशा में जुटी हुई है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले साल जुलाई तक देश में कोरोना वैक्सीन आ जाएगी.
इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के हवाले से कहा गया है कि प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होने से भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं.
डॉक्टर गुलेरिया के हवाले से कहा गया है कि प्रदूषण के पीएम 2.5 स्तर में मामूली बढ़ोतरी भी कोरोना वायरस के मामलों को 8-9 फीसदी तक बढ़ा सकती है.
इस बीच ब्रिटेन सरकार ने सर्दियों के मौसम में कोरोना के मामले बढने की आशंका जताते हुए चेतावनी दी है कोरोना वायरस की सेंकेंड वेब पहले से कहीं अधिक जानलेवा साबित हो सकती है.
पाकिस्तान सरकार ने भी सेकेंड वेब की आशंका जताते हुए अपने नागरिकों से ठंड के मौसम में अधिक सावधानी बरतने की अपील की है.
जानकारों की मानें तो सर्दियों के मौसम में कोल्ड-फ्लू के मामले बड़ी तेजी से सामने आते हैं. ऐसे में जबकि भारत में सर्दी का मौसम दस्तक दे चुका है, तब कोरोना के प्रकोप को लेकर चिंता स्वाभाविक है.
कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि दुनिया के जिन देशों में सर्दी दस्तक दे चुकी है उन देशों को कोरोना वायरस की ‘सेंकेंड वेव’ का सामना करना पड़ सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि ऐसा हुआ तो यह बहुत बड़ा संकट होगा.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों ने ऐसे कई अध्ययन किए हैं जिनसे बदलते मौसम के साथ वायरस की संक्रमण क्षमता में आने वाले बदलावों का पता चला है.
हालांकि कोरोना वायरस के मामले में अभी तक किसी ने इस तरह का कोई ठोस दावा नहीं किया है, मगर दुनियाभर में ऋतु परिवर्तन के साथ वायरसों के संक्रमण का अब तक का जो ट्रैंड है वह यही बताता है कि सर्दियों के मौसम में वायरस अधिक प्रभावी होते हैं.
दरअसल सर्दियों के मौसम में वायरस से होने वाली बीमारियों के मामले बढ़ जाते हैं. सर्दियों के मौसम में लोगों को सबसे ज्यादा सांस संबंधी दिक्कतें होती हैं.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक मामले मानसून के मौसम में जून से सितंबर के बीच सामने आए हैं. सितंबर के दूसरे पखवाड़े के बाद भारत में कोरोना के मामलों में कमी देखी गई है.
ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सर्दियां बढ़ने के साथ भारत में कोरोना का असर कितना रहता है. फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण से बचने का सबसे करगर उपाय सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और साफ सफाई ही है.
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