चुनावी मौसम में देवस्थानम बोर्ड के मुद्दे पर तीर्थ पुरोहितों का दबाव सरकार पर बढ़ता जा रहा है. बीते दिनों तीर्थ पुरोहितों ने मंत्रियों के आवास घेराव से लेकर सचिवालय कूच किया.
हालांकि सरकार ने देवस्थानम बोर्ड पर फैसला लेने के लिए 30 नवम्बर तक का वक्त मांगा है. इस बीच इस मुद्दे पर गठित की गई उच्च स्तरीय कमेटी ने मुख्यमंत्री को 89 पेज की रिपोर्ट सौंप दी है.
अब माना जा रहा है कि जल्द ही धामी सरकार देवस्थानम बोर्ड के मसले पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है. गौरतलब है कि 27 नवम्बर 2019 को त्रिवेन्द्र सरकार ने देवस्थानम बोर्ड एक्ट पास किया था.
जिसके तहत उत्तराखंड के चारों धामों समेत कुल 51 मन्दिरों का प्रबन्धन सरकार ने अपने हाथों में ले लिया था. तत्कालीन सीएम त्रिवेन्द्र ने इसके पीछे तीर्थस्थलों का विकास करने की नियत का हवाला दिया था.
हलांकि उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों समेत यहां का सन्त समाज पहले दिन से ही बोर्ड के खिलाफ है. और त्रिवेन्द्र और तीरथ सिंह रावत की बिदाई से लेकर धामी के नेतृत्व वाली सरकार पर तीर्थ पुरोहितों का दबाव बरकरार है.
वहीं आगामी चुनावों के मद्देनज़र कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद, उत्तराखंड सरकार पर भी देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का दबाव बढ़ गया है.
सरकार को अब 30 नवम्बर यानि कल तक इस मसले पर कोई न कोई फैसला लेना है, धामी सरकार इस मसले पर क्या फैसला लेती है देखने वाली बात होगी.
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