पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार होती बढ़ोतरी के खिलाफ उत्तराखंड के तमाम हिस्सों में वामपंथी दलों भाकपा, माकपा और भाकपा (माले) के साथ ही अन्य संगठनों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया.
अस्थाई राजधानी देहरादून, हल्द्वानी, गोपेश्वर, गुप्तकाशी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, हरिद्वार आदि स्थानों पर वामपंथी दलों के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे और मूल्य वृद्धि वापस लेने के मांग को लेकर प्रदर्शन किया.
इस दौरान वाम दलों के कार्यकर्ता साइकिल पर सवार होकर प्रदर्शन स्थल तक पहुंचे और तेल की बढ़ती कीमतों का विरोध जताया.
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने केंद्र सरकार के मूल्य वृद्धि के फैसले को जनता पर बोझ बढ़ाने वाला जन विरोधी कदम बताते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की.
वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा सरकार वर्ष 2014 में पहली बार पेट्रोल-डीज़ल की मूल्य वृद्धि को एजेंडा बना कर सत्ता में आई थी. लेकिन सत्ता में आने के छह वर्षों में मूल्य वृद्धि ने वो रिकॉर्ड हासिल कर लिया, जो आजादी के सात दशक में कभी नहीं हुआ.
वक्ताओं ने कहा कि पहली बार पेट्रोल और डीजल की कीमतें बारबार हो गयी और कुछ स्थानों पर तो डीजल के दाम पेट्रोल के दामों से अधिक हो गए हैं.
वक्ताओं ने कहा कि, कोरोना संकट के इस कठिन दौर में जब पूरा काम-धंधे ठप्प हैं और आय के स्रोत समाप्त हो रहे हैं, ऐसे में सरकार को चाहिए था कि वह जनता को राहत देती, मंहगाई के बोझ को कम करती, लेकिन इसके ठीक उलट केंद्र सरकार पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें लगातार बढ़ाए जा रही है.
वक्ताओं ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दामों यह वृद्धि आवश्यक वस्तुओं के दामों में भी वृद्धि का सबब बनेगी और यह आम आदमी का जीना और मुश्किल कर देगी.
इस दौरान वामदलों ने देहरादून के जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तेल की कीमतों में की गई मूल्य वृद्धि वापस लेने के संबंध में ज्ञापन भी सौंपा.
ज्ञापन देने के दौरान भाकपा के राज्य सचिव समर भण्डारी, माकपा के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी, भाकपा(माले) के गढञवाल सचिव इन्द्रेश मैखुरी, उत्तराखंड पीपल्स फोरम के संयोजक जयकृत कंडवाल, सामाजिक कार्यकर्ता भार्गव चंदोला आदि मौजूद रहे.
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