प्रदेश के कोटद्वार रेंज के अंतर्गत आने वाली सुखरों बीट के जंगलों में रह रहे वन गूजर मस्तू, उसके चार बेटों, कासिम, यामीन, गुलामनवी और सुलेमान तथा उनके बाल बच्चों के लिए एक जून की तारीख काला दिन बन कर आई.
इस दिन पीढियों से इस क्षेत्र में रह रहे इस परिवार का आशियाना उजड़ गया. वन गूजरों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारियों ने बिना कोई नोटिस दिए उन्हें तत्काल जंगल से बेदखल होने का फरमान सुना दिया और उनकी झोपड़ी में आग लगा दी.
वन गूजर मस्तू ने प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे शिकायत पत्र में लिखा है कि पीढ़ियों से उसक परिवार कोटद्वार रेंज की सुखरोबीट में रहता आया है. मस्तू ने बताया कि उनके पास परमिट भी है.
अपने शिकायती पत्र में मस्तू ने लिखा है कि गर्मियों मे वे लोग पशुओं को लेकर पानी वाले इलाके में चले जाते थे मगर इस बार कोरोना महामारी के चलते सरकार ने गूजरों के मूवमेंट पर रोक लगा दी जिसके बाद से उसका परिवार इसी जगह पर रह रहा था.
मस्तू ने लिखा है कि एक जून को वन विभाग के अधिकारी उसकी झोपड़ी में आए और उसे परिवार तथा मवेशियों को लेकर जगह खाली करने का फरमान सुना दिया. मस्तू का आरोप है कि इस दौरान वन विभाग के कर्मचारियों ने उसकी झोपड़ी में आग लगा दी जिसके बाद से उनका परिवार तिरपाल से बनाए टेंट में रहने को मजबूर हो गया है. मस्तू ने पुलिस को भी मामले की सूचना देकर न्याय की गुहार लगाई है.
वहीं दूसरी तरफ वन विभाग ने आग लगाए जाने के आरोप को गलत बताया है. विभाग के मुताबिक कुछ लोग बिना अनुमति के सुखरो के जंगल में जबरदस्ती डेरा बना रहे थे, जिसकी सूचना मिलने पर वन कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें हटा दिया है. कोटद्वार के डीएफओ अखिलेश तिवारी का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है.
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