देश में हाइब्रिड इम्युनिटी वाले लोगों की संख्या बढ़ी..
देश-विदेश: चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया समेत कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट के प्रकोप फैलने की खबर ने भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्यों सरकारों के साथ आम लोगों को भी सतर्कता बरतने पर जोर दिया है। लेकिन इसी बीच भारतीय बूस्टर डोज लेने में दिलचस्पी कम दिखा रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के 22 दिसंबर तक के आंकड़ों मुताबिक, अब भारत की 90 फीसदी पात्र आबादी को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं। इसमें 22 करोड़ लोगों को लगी बूस्टर डोज भी शामिल हैं। जनवरी 2021 से शुरू हुई टीकाकरण अभियान से लेकर अब तक देश में कुल मिलाकर 2.2 अरब बूस्टर डोज दी जा चुकी हैं।
मौजूदा आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत ने दिसंबर में हर दिन 30,000 से भी कम बूस्टर डोज लगाई हैं। साथ ही पिछले दो महीनों से भारत का कवरेज सामान्य ही रहा है। 20 दिसंबर को बूस्टर डोज लेने वाले प्रति 100 भारतीयों की संख्या 19 सितंबर के 13.7 से बढ़कर 15.7 हो गई है। जबकि भारत की तुलना में इस दौरान पड़ोसी देश बांग्लादेश ने इस दौरान प्रति 100 लोगों पर 26.4 डोज से प्रति 100 लोगों पर 35.4 डोज की वृद्धि देखी। वहीं, जर्मनी में 71.7 डोज प्रति 100 लोगों से बढ़कर 77 डोज प्रति 100 लोग हो गई।
अभी भी बूस्टर डोज के प्रति लोग नहीं दिखा रहे रुचि..
स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि देश भर के निजी अस्पतालों में अभी बूस्टर डोज की कोई मांग नहीं है। पिछले दो महीनों में चीन में कोविड-19 की स्थिति सामने आने के बाद से भी कोई मांग नहीं बढ़ी है। लेकिन अन्य देशों में बढ़ते प्रकोप की खबरों और भारत में सतर्कता बढ़ेगी। अभी लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन कोरोना से सावधानी जरूर बरतनी चाहिए। जो लोग विश्व कप के बाद कतर से लौटे हैं, उनका परीक्षण किया जाना चाहिए। भारत में फिलहाल हाइब्रिड इम्यूनिटी की अच्छी जनसंख्या हो गई है। अधिकांश लोग बूस्टर ले चुके हैं। जिन्होंने अब तक नहीं लिया है वे भी जरूरी तौर पर तीसरी खुराक ले लें। साथ ही हमें भीड़भाड़ इलाकों में मास्क पहने। इससे संक्रमण से बचा जा सकेगा।
डॉक्टरों का यह भी कहना है कि देश में 90 फीसदी आबादी को वैक्सीन लग चुकी है। 18 साल से ज्यादा उम्र के 60 फीसदी लोग बूस्टर भी लगवा चुके हैं। इसके साथ-साथ संक्रमण के कारण 70 आबादी से ज्यादा आबादी हाइब्रिड इम्युनिटी हासिल कर चुकी है। जबकि, चीन में ऐसा नहीं है। वहां तो अभी पहली ही लहर शुरू हुई है। भारत में ऐसी तीन लहरें गुजर चुकी हैं। इसलिए भारत अभी खतरे से बाहर है। केंद्र सरकार को देश में संक्रमण को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा जीनोम सीक्वेंसिंग करनी होगी। इससे समय रहते नए वैरिएंट की पहचान होगी। चीन व आसपास के देशों जैसे ताइवान, सिंगापुर, फिलीपींस आदि से आने वाले यात्रियों पर फोकस बढ़ाना चाहिए। एयरपोर्ट पर ही उनकी टेस्टिंग शुरू करनी चाहिए। क्योंकि चीन अब अपने यहां यात्राएं रोक नहीं रहा, इसलिए हमें लंबे समय तक सतर्क रहना की जरुरत है। चीन में भारतीयों का आना-जाना जारी है।
हार्ट अटैक के डर से नहीं लगवा रहे बूस्टर
हाल ही में हुए लोकल सर्किल्स के सर्वे में खुलासा हुआ कि 10 में से छह भारतीय (64 प्रतिशत) कोविड बूस्टर खुराक लेने से हिचक रहे हैं, क्योंकि युवाओं में दिल के दौरे के मामले बढ़े हैं। सर्वेक्षण में शामिल 53 फीसदी लोगों ने बूस्टर शॉट्स नहीं लिए हैं और न ही इसे लेने की योजना बना रहे हैं। वहीं, नौ फीसदी ने अब भी कोई कोविड वैक्सीन शॉट नहीं लिया है और ऐसा करने की उनकी कोई योजना नहीं है। हाल के दिनों में कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिसमें लोग अचानक गिरकर मर गए। हालांकि अचानक मौत की वजह पता नहीं चली है लेकिन लोगों में डर बैठ गया है। जबकि सरकार और एक्सपर्ट कह रहे हैं कि कोरोना के खिलाफ बूस्टर लगवाना जरूरी है।
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