राज्य निर्माण के दो दशक गुज़र जाने के बावजूद अभी तक बेहतर स्वास्थ्य,शिक्षा और सड़क पूरी तरह से पहाड़ नहीं पढ़ पाई हैं.
आए दिन प्रदेश के पर्वतीय इलाकों से स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की तस्वीरें आती रहती हैं.
ताज़ा मामला गैरसैंण ब्लॉक के तेवाखर्क गांव का है जहां एक महिला की अचानक तबीयत खराब हुई तो ग्रामीणों को महिला को अस्पताल ले जाने और और फिर वापस लाने के लिए 12 किमी की पैदल पूरी नापनी पड़ी.
अब महिला की सेहत में सुधार है.
ब्लाक गैरसैंण के दूरस्थ गांव सेरा और तेवाखर्क के लोग आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं. बृहस्पतिवार को तेवाखर्क की काशी देवी (52) पत्नी बचन सिंह की अचानक तबीयत खराब हो गई.
पहले ग्रामीणों ने उसे घरेलू दवाई दी, लेकिन जब उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो ग्रामीणों ने महिला को स्ट्रेचर पर लिटाया और 6 किमी तेज ढलान पार कर मालकोट मोटर मार्ग तक पहुंचाया.
उसके बाद 108 वाहन से महिला को सीएचसी गैरसैंण पहुंचाया गया. डॉक्टरों ने उसका प्राथमिक इलाज किया और तबीयत सुधरने पर घर भेज दिया.
इसके बाद ग्रामीण फिर खड़ी चढ़ाई पार कर छह किमी पैदल चलकर महिला को घर लाए.
स्थानीय निवासी हुकम सिंह ने बताया कि सेरा और तेवाखर्क गांव में 80 परिवार रहते हैं.
दो दशकों से सड़क की मांग कर रहे हैं.जब सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया तो ग्रामीणों ने पिछले साल 26 जनवरी से 15 फरवरी तक श्रमदान कर सड़क बनाई.
उसके बाद 16 फरवरी 2020 से बुजुर्ग लोगों ने आमरण अनशन शुरू किया लेकिन भराड़ीसैंण में मार्च महीने में बजट सत्र से पहले अधिकारी ग्रामीणों के बीच पहुंचे थे और 15 दिनों में सड़क का शासनादेश जारी होने का भरोसा दिया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
गांव के राजेंद्र सिंह का कहना है कि बैंक जाने के लिए भी बुजुर्ग पहले 6 किमी पैदल चलते हैं और फिर गैरसैंण वाहन से जाते हैं. उन्होंने कहा कि सड़क न बनाए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी.
वहीं लोक निर्माण विभाग के एई आदित्य ठाकुर ने कहा कि विभाग के स्तर से मालकोट-सेरा-तेवाखर्क सड़क की फाइल शासन में भेज दी गई है. वित्तीय स्वीकृति मिलनी बाकी है.
उम्मीद है कि जल्द सड़क निर्माण की सभी औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी.उसके बाद काम शुरू कर दिया जाएगा.
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