उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून से लभगग 20 किलोमीटर दूर स्थित जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाने का विरोध शुरू हो गया है.
18 अक्टूबर को बड़ी संख्या में युवाओं, वरिष्ठ नागरिकों तथा पर्यावरण प्रेमियों ने थानो पहुंच कर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विकास ने नाम पर इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों का कटान नहीं किया जाना चाहिए.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पेड़ों को किसी भी सूरत में कटने नहीं दिया जाएगा. प्रदर्शनकारियों ने ‘सेव थानो’ के नाम से सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू की है.
प्रदर्शनकारियों ने लोगों से अपील की है कि जंगल बचाने की इस लड़ाई में वे खुल कर आगे आएं.
गौरतलब है कि सरकार ने देहरादून जिले के जौलीग्रांट तथा ऊधमसिंहनगर जिले के पंतनगर एयरपोर्ट का विस्तार करने का निर्णय लिया है. एयरपोर्ट विस्तार के लिए आस-पास के जंगल को काट कर चौड़ीकरण की योजना है.
जौलीग्रांट एयरपोर्ट के आसपास जिस जंगल के पेड़ काटे जाने हैं वह शिवालिक ऐलिफेंट रिजर्व के अधीन आता है. सरकार ने यहां 243 एकड़ वन भूमि को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) को देने का निर्णय लिया है.
बताया जा रहा है कि इस जंगल में शीशम, खैर, सागौन, गुलमोहर समेत जिसमें विभिन्न प्रजाति की वन संपदा है. साथ ही यहां विभिन्न प्रजाति के वन्यजीव रहते हैं.
जानकारों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाने से पर्यावरण को भारी नुकसान होगा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होगा.
वहीं राज्य सरकार का कहना है कि एयरपोर्ट के विस्तार से देश के तमाम शहरों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाएं भी शुरू होंगी जिससे प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
बीते 10 अक्टूबर को केंद्रीय नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप खरोला ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर इन एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर चर्चा की थी.
केंद्रीय सचिव ने बताया कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का तहत पहले चरण में लगभग 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए सरकार ने भूमि की उपलब्ध कराने का निर्णय ले लिया है.
उन्होंने कहा कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही है साथ ही पंतनगर को ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाने के लिए भी प्रभावी पहल की गई है.
पिछले साल अक्टूबर में राज्य सरकार ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजा था. इसके तहत 60 मीटर चौड़ा और 270 मीटर लंबा रनवे का विस्तारीकरण किया जाना है.
विस्तारीकरण पर लगभग 285 करोड़ खर्च होने का अनुमान है. इसके लिए करीब 105 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है.
विस्तारीकरण के दूसरे चरण में टर्मिनल बिल्डिंग से परिचालन, सभी सेवाओं के एकीकरण, टर्मिनल बिल्डिंग के बैलेंस हिस्से का निर्माण और अन्य कार्यों का पूरा किया जाना है.
बहरहाल एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए पेड़ों के काटे जाने का विरोध तेज हो गया है.
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