• मुख पृष्ठ
  • उत्तराखंड
  • देश-दुनिया
  • जनपक्ष
  • समाज-संस्कृति
  • इतिहास
  • वीडियो
Wednesday, March 29, 2023
Uttarakhand Gazetteer
  • मुख पृष्ठ
  • उत्तराखंड
  • देश-दुनिया
  • जनपक्ष
  • समाज-संस्कृति
  • इतिहास
  • वीडियो
No Result
View All Result
  • मुख पृष्ठ
  • उत्तराखंड
  • देश-दुनिया
  • जनपक्ष
  • समाज-संस्कृति
  • इतिहास
  • वीडियो
No Result
View All Result
Uttarakhand Gazetteer
No Result
View All Result

सावित्रीबाई फुले : जिन्होंने लड़कियों के लिए स्कूल के दरवाजे खोलकर आजादी का रास्ता तैयार किया

प्रदीप सती

ukgazetteer by ukgazetteer
January 3, 2023
0
सावित्रीबाई फुले : जिन्होंने लड़कियों के लिए स्कूल के दरवाजे खोलकर आजादी का रास्ता तैयार किया
Share on Facebook

कल्पना कीजिए, आज से पौने दो सौ साल पहले 1840 का वह दौर, जब देश गुलामी की जंजीरों से जकड़ा था, जब वर्ण व्यवस्था इस कदर हावी थी कि दलितों के लिए पढ़ना-लिखना तो छोड़िए, इस बारे में सोचना भी अपराध माना जाता था, जब  स्त्रियों का जीवन संसार, घर की देहरी तक ही सीमित था, तब एक दलित किशोरी ने किस तरह एक आम लड़की से देश की पहली महिला अध्यापिका बनने का मुकाम हासिल किया होगा !

वह दलित किशोरी न केवल देश की पहली महिला शिक्षिका बनीं बल्कि उन्होंने पूरी स्त्री जाति वे लिए स्कूल के दरवाजे खोलकर दासता से मुक्ति और आजादी का रास्ता तैयार किया.

उस किशोरी को आज पूरी दुनिया सावित्री बाई फुले के नाम से जानती है. आज आपको सावित्री बाई फुले की उस महायात्रा से रूबरू कराते हैं.

सावित्रीबाई का जन्म पुणे के निकट नाईगांव में 3 जनवरी, 1831 को एक दलित परिवार में हुआ था. वे अपने पिता खांडोजी नेवशे पाटिल की सबसे बड़ी संतान थीं.

उस दौर में लड़कियों को शिक्षित कराना तो दूर इस बारे में सोचना भी कल्पना से परे था. लड़कियों को छोटी उम्र में ही घर का कामकाज सिखाने पर जोर रहता था, जिसके बाद उनकी शादी कर ससुराल भेज दिया जाता था. सावित्रीबाई भी इसका अपवाद नहीं थीं. उन्होंने भी बचपन में ही घर के कामकाज निपटाने में परिवार का हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. मात्र 9 वर्ष की आयु में सावित्री बाई का विवाह पुणे के एक 13 वर्षीय किशोर ज्योतिराव फुले से कर दिया गया.

 

ज्योतिराव फुले का परिवार पारंपरिक रूप से खेती, बागवानी और बुनकर का काम करता था. उनके समुदाय में भी शिक्षा प्राप्त करने पर बहुत जोर नहीं रहता था, लेकिन ज्योतिराव स्कूली शिक्षा हासिल कर चुके थे. 13 वर्ष की बेहद कच्ची उम्र में ही उन्हें शिक्षा की महत्ता समझ आ गई थी और इसी का परिणाम रहा कि उन्होंने अपनी पत्नी को भी तालीम देने का निश्चय कर लिया.

घर पर जब भी वक्त मिलता, ज्योतिराव सावित्री बाई और अपनी रिश्तेदार महिला सगुणा बाई, जिनका जिक्र इस रिपोर्ट के शुरु में किया गया है, को पढ़ाने का काम करते. दोनों महिलाएं मन लगा कर पढ़तीं. सावित्री बाई की लगन और ज्योतिराव की मेहनत धीरे-धीरे रंग लाने लगी. अपने पति से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद, सावित्रीबाई ने अहमदनगर में औपचारिक शिक्षा हासिल की जिसके बाद पुणे से शिक्षक प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र हासिल किया.

बाम्बे गार्जियन के 22 नवंबर, 1851 के अंक में छपी एक खबर के अनुसार शुरुआती शिक्षा ग्रहण करने के बाद सावित्रीबाई की आगे की पढ़ाई की जिम्मेदारी उनके पति जोतिराव फुले के मित्रों सखाराम यशवंत परांजपे और केशव शिवराम भावलकर (जोशी) ने ली थी.

खेत के आंगन से शुरू हुआ शिक्षित होने का यह सफर एक शिक्षक बनने की अर्हता हासिल करने तक जिस तरह पहुंचा, उसकी कल्पना करने से ही सावित्रीबाई के प्रति अपार सम्मान बढ़ जाता है.

शिक्षिका बनने की अर्हता हासिल करने के साथ ही सावित्रीबाई ने एक महिला के लिए घर की चहारदीवारी से बाहर निकलकर सार्वजनिक जीवन में सक्रियता की ऐतिहासिक शुरुआत कर दी थी.

इस शुरुआत को 1 जनवरी 1848 को बहुत बड़ी उड़ान मिली, जब उनके पति ज्योतिराव फुले ने पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला. यहां लड़कियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी मिलते ही सावित्रीबाई फुले देश की पहली हमिला शिक्षिका बन गईं. उनका साथ देने का जिम्मा सगुनाबाई और एक मुस्लिम महिला फातिमा शेख ने उठाया. फातिमा शेख, ज्योतिराव फुले के एक दोस्त उस्मान शेख की बेटी थीं.

यह वाकया देश की आजादी से पूरी एक सदी पहले का है. आजादी से 100 साल पहले एक दलित दंपति ने किस तरह लड़कियों के लिए शिक्षा के महत्व को न केवल समझा बल्कि इसके लिए स्कूल खोल कर रास्ता भी तैयार किया, यह अपने आप में बेहद प्रेरणादायी है.

इस यात्रा में ज्योतिराव फुले और सावित्री बाई फुले को उच्च और संपन्न वर्ग का जो विरोध झेलना पड़ा, उसका जिक्र किए बिना यह कथा अधूरी है.

उस दौर में जब केवल ऊंची जाति के बच्चों को ही शिक्षित होने का अधिकार था, तब हाशिए पर धकेल दिए गए समाज के बच्चों और खासकर लड़कियों को शिक्षित करने की गुस्ताखी करने वाले इस दंपत्ति को समाज का तकतवर तबका आखिर कैसे बर्दाश्त कर पाता ?

फुले दंपत्ति की इस पहल को कुलीन वर्ग के लोगों ने अपने खिलाफ सीधी चुनौती के तौर पर लिया और उन्हें सबक सिखाने की ठान ली.

 

स्कूल खोले जाने के बाद फुले दंपत्ति का विरोध शुरू होने लगा. उन्हें सामाजिक ताने देने से लेकर बुरी -बुरी गालियां दी जाती, लेकिन दोनों ने अपने इरादे डिगने नहीं दिए. फुले दंपति के मजबूत इरादों से बौखलाए उच्च जाति के लोगों ने ज्योति राव फुले के पिता से दोनों की शिकायत की और उन्हें फरमान सुनाया कि वे अपने बेटे और बहू की इस जुर्रत को बंद करवाएं. लोगों के बढ़ते दबाव को देखते हुए ज्योति राव फुले के पिता ने उन्हें स्कूल बंद करने का फरमान सुना दिया, लेकिन ज्योतिराव ने ऐसा करने से इंकार कर दिया. इसके बाद उनके पिता ने शर्त रखी कि वे या तो स्कूल चलाना बंद कर दें वरना घर छोड़ कर चले जाएं. अपने मजबूत इरादे पर कायम स्वाभिमानी ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा की मशाल जालाए रखने के पवित्र उद्देश्य के लिए खुशी-खुशी दूसरा विकल्प चुन लिया, यानी घर छोड़ कर आ गए. तब उस्मान शेख नाम के एक दोस्त नें फुले दंपत्ति को अपने घर पर रख कर उनकी मदद की.

उच्चवर्ग को लोगों द्वारा ज्योतिराव फुले के पिता को धमकाने वाली तरकीब भी असफल हो चुकी थी. लेकिन वे अब भी फुले दंपति की इस मुहिम को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे, लिहाजा उन्होंने पहले से ज्यादा आक्रामक तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया.

 

जब सावित्रीबाई फुले अपने घर से स्कूल के लिए निकलतीं तो रास्ते में ऊंची जाति के लोग उन्हें भद्दी-भद्दी गालियां देते, उन पर गोबर और कीचड़ फेंकते. कुछ दिन बाद सावित्री बाई इस विरोध की आदी हो गईं. वे स्कूल जाते समय अपने पास एक और साड़ी रखती थीं. स्कूल पहुंचने के बाद वे गोबर और कीचड़ से सनी साड़ी उतार कर साफ सुथरी साड़ी पहन लेतीं थीं और लड़कियों को पढ़ाने में जुट जातीं. वापसी में फिर से वही गंदी साड़ी पहन लेतीं. इस तरह सावित्री बाई ने जिस जीवटता के साथ उच्चजाति के विरोध का जवाब दिया, वह आज इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो चुका है.

ज्योतिराव फुले और सावित्री बाई जानते थे कि स्त्रियों के साथ ही दलितों और वंचितों की मानसिक गुलामी तोड़ने के लिए उनका शिक्षित होना भी जरूरी है. इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 15 मई 1848 को पुणे की एक दलित बस्ती में भी स्कूल खोला.

इसके बाद एक एक करके फुले दंपति ने केवल 4 साल के भीतर ही 15 मार्च 1852 तक पुणे और उसके आस पास के इलाकों में कुल 18 स्कूल खोले, जहां सभी विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी. संसाधनों की लगातार कमी के बावजूद शिक्षा के प्रति फुले दंपति का समर्पण बढ़ता ही रहा.

फुले दम्पत्ति द्वारा चलाए जाने वाले स्कूलों में विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में गणित, व्याकरण, भूगोल, नक्शों की जानकारी, मराठा इतिहास, नीतिबोध और बालबोध जैसी पुस्तकें शामिल थीं. तत्काली ब्रिटिश अधिकारियों ने भी इस पाठ्यक्रम की सराहना की थी. उस दौर में पुणे विश्वविद्यालय के मेजर कैन्डी ने अपने एक वृतांत में लिखा कि इन स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों विशेषकर लड़कियों की लगन और कुशाग्र बुद्धि देखकर उन्हें बहुत संतोष हुआ. कैंडी ने लिखा कि इन स्कूलों में शिक्षा का स्तर काफी ऊंचा है. शिक्षा के क्षेत्र में सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले के इस महान योगदान के लिए सन 1892 में तत्कालीन राज्य शिक्षा विभाग द्वारा दोनों को सम्मानित किया गया.

फुले दंपति ने शिक्षा के क्षेत्र में मशाल तो जताई ही साथ ही उन्होंने उस वक्त मौजूद तमाम सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी आवाज उठाई. सन 1892 में उन्होंने महिला सेवा मंडल के रूप में पुणे की विधवा स्त्रियों के कल्याण के लिए देश का पहला महिला संगठन बनाया. इस संगठन के माध्यम से वे गरीब, दलित और विधवा स्त्रियों से चर्चा करतीं, उनकी समस्याएं सुनतीं और समाधान के उपाय भी सुझाती. उन्होंने सामाजिक रूप से उपेक्षित और बहिष्कृत महिलाओं की अर्थिक उन्नति के लिए कई काम किए.

उन्होंने महिलाओं को जागरूक करने के लिए कई धार्मिक मान्यताओं को तोड़ा और स्त्रियों को बुनियादी अधिकारों के प्रति जागरूक किया. 28 जनवरी 1853 को फुले दंपति ने पुणे में आंदोलन के दौर के एक साथी उस्मान शेख के घर में बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की. इसकी स्थापना के पीछे उद्देश्य था गर्भवती विधवा महिलाओं को आत्महत्या से बचाना.

दरअसल उस दौर में गरीब परिवार की बेटियों की शादी बहुत कम उम्र में, उम्रदराज लोगों से कर दी जाती थीं. ऐसे में पति के निधन के बाद उन्हें बाल विधवा के तौर पर बेहद दुखदायी जीवन जीना पड़ता था. गर्भवती विधवाओं का जीवन तो इतना ज्यादा कष्टाकारी होता कि वे आत्महत्या करने को मजबूर हो जाती थीं. ऐसी महिलाओं और उनके गर्भस्थ शिशुओं का जीवन बचाने के लिए बनाए गए बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की पूरी जिम्मेदारी सावित्रीबाई फुले ने अपने कंधों पर ली. उस गृह में बेसहारा गर्भवती विधवा महिलाओं की देखभाल की जाती और उनका सुरक्षित प्रसव कराया जाता. उस वक्त यह कितनी बड़ी समस्था थी, इसका आंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस बाल हत्या प्रतिबंधक गृह में 4 साल के भीतर 100 से अधिक विधवा स्त्रियों ने बच्चों को जन्म दिया. इन्हीं बाल विधवाओं में से एक के नवजात शिशु को सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले ने गोद लिया, जिसका नाम यशवंत रखा.

बड़ा होकर यशवंत ने डॉक्टर बन कर अपने माता पिता की विरासत को आगे बढ़ाया.

 

वर्ष 1874 में जोतिबा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की, जिसका मकसद था – वैकल्पिक सामाजिक व्यवस्था की अवधारणा को साकार करना. इस नए समाज में दलितों और स्त्रियों के साथ ही समानता और परिवर्तन के पैरोकार लोग शामिल हुए. 1890 में पति ज्योतिराव फुले के निधन के बाद सावित्रीबाई ने सत्यशोधक समाज की बागडोर संभाली और 4 वर्षों कर इसका कुशलता पूर्वक संचालन किया. पति ज्योतिराव फुले का निधन होने के बाद सावित्रीबाई ने तमाम वर्जनाओं को तोड़ते हुए खुद उनका अंतिम संस्कार किया. पुरुष वर्चस्व वाले समाज में उनका यह कदम स्त्री अस्मिता को मजबूत करने कि दिशा में एक और मील का पत्थर था.

सावित्री बाई ने एक लेखिका के रूप में अपना योगदान दिया. उन्होंने कविताओं और लेखों के माध्यम से उस समय की बुराइयों के खिलाफ लोगों को जागरुक किया.

 

वर्ष 1896 में महाराष्ट्र में भयंकर सूखा पड़ा, उस वक्त सावित्रिबाई फुले ने सत्यशोधक समाज के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर लोगों की खूब मदद की. इसके सालभर बाद वर्ष 1897 में पुणे शहर में प्लेग की महामारी फैल गयी. तब सावित्रीबाई फुले ने अपने ड़क्टर बेटे यशवंत के साथ बीमार लोगों की दिन रात सेवा की. इस दौरान वे खुद भी प्लेग के संग्रमण में आ गई. 10 मार्च 1897 को 66 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस संसार से विदा ली और अमर हो गईं.

आजादी से 100 साल पहले जब गुलामी की जंजीरों में जकड़े देश का न कोई विधान था, न संविधान, तब अपने पति के साथ मिल कर सावित्रीबाई फुले ने पितृसत्ता और स्त्री विरोधी मान्यताओं को ध्वस्त कर स्त्री मुक्ति का जो इतिहास लिखा उसके दिए मानव जाति हमेशा उनकी अहसानमंद रहेगी. महिलाओं की आजादी का रास्ता तैयार करने वाली महान शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को सलाम.

 

ShareSendTweet
Previous Post

उत्तरकाशी की सोनम रावत ने उत्तीर्ण की PCS-J परीक्षा बनेंगी जज..

Next Post

गणतंत्र दिवस को पूरा देश देखेगा जागेश्वर धाम की झलक..

Related Posts

देश-दुनिया

नेटफ्लिक्स पर एक बार फिर बनेंगी जोड़ियां..

नेटफ्लिक्स पर एक बार फिर बनेंगी जोड़ियां..

नेटफ्लिक्स पर एक बार फिर बनेंगी जोड़ियां.. इंडियन मैचमेकिंग' का तीसरा सीजन जल्द देगा दस्तक..       देश-विदेश: ओटीटी प्लेटफॉर्म के पॉपुलर शोज में से एक 'इंडियन मैचिंग' का तीसरा सीजन जल्द आने वाला है। शो के फैंस लंबे समय से इसके नए सीजन का इंतजार कर रहे थे। अब उनका इंतजार बहुत जल्द खत्म होने वाला है। आपको बता दे कि शो के नए सीजन को लेकर नेटफ्लिक्स ने खुद यह जानकारी दी है। नेटफ्लिक्स का कहना हैं कि 'इंडियन मैचिंग' का तीसरा सीजन 21 अप्रैल को रिलीज किया जाएगा। शो ने नए सीजन में एक बार फिर सीमा तपारिया लोगों की जोड़ियां बनाती नजर आएंगी। इस रिएलिटी शो में ऑल वर्ल्ड के क्लाइंट्स को सीमा तपारिया के अरेंज्ड मैरिज प्रोसेस में गाइड करती हुई नजर आती हैं। एक फिर जोड़ियां बनाएंगी सीमा तपारिया.. 'इंडियन मैचिंग सीजन' के दोनों सीजन लोगों को बेहद पसंद आए थे, जिसके बाद शो के तीसरे सीजन को लेकर लोग काफी उत्साहित थे। वहीं, अब खबर है कि अप्रैल के महीन में शो के फैंस का इंतजार खत्म होने वाला है। वहीं, इस बार शो में काफी कुछ नया देखने को मिलने वाला है। बता दें कि तीसरे सीजन में सीमा तपारिया दिलचलस्प अंदाज से सिगल्स की जोड़ियां बनाती नजर आएंगी।  

Read more
by ukgazetteer
0 Comments
कोरोना वायरस

कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर पीएम मोदी ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक..

कोरोना अलर्ट : अगले 21 दिन तक भारत बंद, प्रधानमंत्री ने की लाकडाउन की घोषणा 

कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर पीएम मोदी ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक..     देश-विदेश: देश में बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी बुधवार को अहम बैठक करेंगे। इस दौरान देश में कोरोना की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। जानकारी के अनुसार कोरोना के मामलों में तेजी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हालात और सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा के लिए यह उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बुधवार को अपडेट किए गए आंकड़ों से पता चला कि भारत में 1134 नए कोरोना के मामले दर्ज किए गए। मौजूदा वक्त में 7,026 कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। इस दौरान पांच लोगों की मौत भी हुई। छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र में एक-एक मौत की खबर है। इसके अलावा एक कोरोना संक्रमित की जान केरल में गई। देश में दैनिक सकारात्मकता 1.09 फीसदी दर्ज की गई, जबकि साप्ताहिक सकारात्मकता 0.98 प्रतिशत आंकी गई। केरल में हालात बिगड़ने की आशंका.. केरल में कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने बुधवार को सभी जिलों में अलर्ट जारी किया है। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि राज्य में मंगलवार को 172 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। तिरुवनंतपुरम और एर्नाकुलम जिलों में वायरस के मामले अधिक हैं। राज्य में फिलहाल 1,026 सक्रिय मामले हैं, इनमें 111 लोगों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है। सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है। जिलों को निगरानी मजबूत करने का भी निर्देश दिया गया है। इस तरह बढ़े मामले.. भारत में सात अगस्त 2020 को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी। संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020...

Read more
by ukgazetteer
0 Comments
देश-दुनिया

भारतीय वायुसेना में 12वीं पास युवाओं के लिए निकली भर्ती..

उत्तराखंड में यहां सिविल इंजीनियर के पदों पर निकली भर्ती..

भारतीय वायुसेना में 12वीं पास युवाओं के लिए निकली भर्ती..     देश-विदेश: भारतीय वायुसेना (IAF) में नौकरी करने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए खुशखबरी है। भारतीय वायुसेना ने अग्निवीर वायु के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार जो इन पदों पर आवेदन करना चाहते हैं वो अधिकारिक वेबसाइट https://agnipathvayu.cdac.in/AV/ पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते है। आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 मार्च बताई जा रही है। बता दे कि भारतीय वायु सेना (IAF) अग्निवीरवायु भर्ती 2023 के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया 17 मार्च से शुरू हो गई है। इस भर्ती के लिए केवल अविवाहित भारतीय पुरुष और महिला उम्मीदवारों आवेदन कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन कराने वाले उम्मीदवारों के लिए परीक्षा आयोजित की जाएगी। परीक्षा में पास होने वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू के बाद ट्रेनिंग के लिए सलेक्ट किया जाएगा. इस भर्ती से संबंधित हर जानकारी आपको नोटिफिकेशन में मिलेगी। शैक्षिणिक योग्यता और आयु सीमा.. उम्मीदवारों का जन्म 26 दिसंबर 2002 और 26 जून 2006 के बीच होना चाहिए। वहीं शैक्षिक योग्यता की बात करें तो विज्ञान स्ट्रीम में 12वीं पास होना चाहिए। 50 प्रतिशत कम से कम नंबर होने चाहिए।इसके अलावा उम्मीदवारों को सरकारी मान्यता प्राप्त पॉलिटेक्निक संस्थान से इंजीनियरिंग (मैकेनिकल / इलेक्ट्रिकल / इलेक्ट्रॉनिक्स / ऑटोमोबाइल / कंप्यूटर साइंस / इंस्ट्रूमेंटेशन टेक्नोलॉजी / सूचना प्रौद्योगिकी) में तीन साल का डिप्लोमा कोर्स कुल मिलाकर 50% अंकों के साथ और डिप्लोमा कोर्स में अंग्रेजी में 50% अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। (या इंटरमीडिएट/मैट्रिकुलेशन में, यदि डिप्लोमा पाठ्यक्रम में अंग्रेजी विषय नहीं है) भी आवेदन कर सकते हैं।    

Read more
by ukgazetteer
0 Comments
देश-दुनिया

नाटू-नाटू’ की शानदार जीत के बाद राम चरण का फैंस ने एयरपोर्ट पर किया ग्रैंड वेलकम..

नाटू-नाटू’ की शानदार जीत के बाद राम चरण का फैंस ने एयरपोर्ट पर किया ग्रैंड वेलकम..

नाटू-नाटू' की शानदार जीत के बाद राम चरण का फैंस ने एयरपोर्ट पर किया ग्रैंड वेलकम..   देश-विदेश: इस वक्त पूरी दुनिया में एसएस राजामौली की फिल्म ‘आरआरआर’ अपना परचम लहरा रही है। हर तरफ केवल इस फिल्म का जलवा देखने को मिल रहा है। फिल्म के गाने ‘नाटू-नाटू’ ने ऑस्कर जीतकर देश का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है। इस गाने पर देश की जनता जोरों-शोरों से थिरक रही है। अब हाल ही में, देश का सम्मान बढ़ाकर फिल्म के अभिनेता रामचरण दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे, जहां उनका बहुत ही खास अंदाज में वेलकम किया गया। 12 मार्च का दिन हर देशवासी के लिए बहुत ही यादगार बन गया है क्योंकि इस दिन भारत ने दुनिया के सबसे बड़े अवॉर्ड शो में दो ऑस्कर जीता था। सबसे पहले तो गुनीत मोंगा की शॉर्ट फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ ने अवॉर्ड अपने नाम किया। उसके बाद ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटू- नाटू’ ने पूरी दुनिया में अपनी सफलता का परचम लहराया और दूसरा ऑस्कर अपने नाम किया। अब हाल ही में, सोशल मीडिया पर राम चरण की एक वीडियो तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें अभिनेता लॉस एंजिल्स से भारत वापस लौट आए हैं। फैंस ने उनका भव्य स्वागत किया है। इस दौरान राम चरण ने मीडिया से भी बात की और कहा, मैं बहुत खुश हूं। हमारी इस खुशी का श्रेय एसएस राजमौली, एमएम कीरावनी और चंद्रबोस को जाता है, उनकी कड़ी मेहनत की वजह से हम आज यह दिन देख पाए हैं और ऑस्कर घर लेकर आ पाए हैं। राम चरण ने आगे कहा, ‘फिल्म ‘आरआरआर’ को देखने और ‘नाटू-नाटू’ को अपना प्यार देने के लिए मैं सभी फैंस का शुक्रगुजार हूं। अभिनेता के रूप में जब हम शूटिंग कर रहे थे, हमने कभी नहीं सोचा था कि इस गाने का क्रेज लोगों के सिर चढ़कर बोलेगा। आज, यह...

Read more
by ukgazetteer
0 Comments
Load More
Next Post
गणतंत्र दिवस को पूरा देश देखेगा जागेश्वर धाम की झलक..

गणतंत्र दिवस को पूरा देश देखेगा जागेश्वर धाम की झलक..

सेना के जवान ने लगाई नदी में छलांग, SDRF का सर्च अभियान जारी..

सेना के जवान ने लगाई नदी में छलांग, SDRF का सर्च अभियान जारी..

Discussion about this post

No Result
View All Result
अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 84वीं बैठक..
उत्तराखंड

अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 84वीं बैठक..

अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 84वीं बैठक.. यात्रा मार्गों पर बढ़ाई जाए...

Read more
क्या चारधाम यात्रा और हरिद्वार कुंभ पर भारी पड़ सकती है कोरोना की त्रासदी ?

चारधाम यात्रा- स्थानीय लोगों के लिए पंजीकरण की अनिवार्यता खत्म..

चंपावत उपचुनाव : सीएम धामी की रिकॉर्डतोड़ जीत, कांग्रेस की जमानत जब्त

धामी सरकार फैसला, अब इन्हें भी मिलेगी नौकरी, शासनादेश जारी..

नेटफ्लिक्स पर एक बार फिर बनेंगी जोड़ियां..

नेटफ्लिक्स पर एक बार फिर बनेंगी जोड़ियां..

सेल्फी लेते समय शारदा नदी में डूबे दो सगे भाई..

सेल्फी लेते समय शारदा नदी में डूबे दो सगे भाई..

Recent Posts

  • अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 84वीं बैठक..
  • चारधाम यात्रा- स्थानीय लोगों के लिए पंजीकरण की अनिवार्यता खत्म..
  • धामी सरकार फैसला, अब इन्हें भी मिलेगी नौकरी, शासनादेश जारी..
  • नेटफ्लिक्स पर एक बार फिर बनेंगी जोड़ियां..
  • सेल्फी लेते समय शारदा नदी में डूबे दो सगे भाई..
Facebook Twitter Instagram Youtube

Copyright © 2019 Uttarakhand Gazetteer - Designed and Developed by ERAONS.

No Result
View All Result
  • मुख पृष्ठ
  • उत्तराखंड
  • देश-दुनिया
  • जनपक्ष
  • समाज-संस्कृति
  • इतिहास
  • वीडियो

Copyright © 2019 Uttarakhand Gazetteer - Designed and Developed by ERAONS.

Login to your account below

Forgotten Password?

Fill the forms bellow to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In
error: Content is protected !!