उत्तराखंड सरकार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र पर लगे आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है.
विकास नगर से भाजपा विधायक और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी दी.
इसके साथ ही उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा की जा रही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के इस्तीफे की मांग को भी खारिज कर दिया.
चौहान ने हाईकोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यह मामला साक्ष्यों को एकत्र करने का विषय है, बावजूद इसके हाईकोर्ट ने इस एफआईआर को निरस्त कर दिया. यह फैसला कानूनन गलत है.
चौहान ने कहा, ‘ मुख्यमंत्री को पार्टी नहीं बनाया गया, उन्हें कोई नोटिस जारी नहीं किया गया. ऐसे में कोर्ट का यह फैसला गलत है.
चौहान ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ता हरेंद्र सिंह रावत द्वारा उमेश शर्मा के खिलाफ तहरीर दी गई थी, जिसके आधार पर केस किया गया है.

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि उमेश शर्मा ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि हरेंद्र रावत की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से कोई रिश्तेदारी नहीं है. उन्होंने कहा कि गलत जानकारी देकर मुख्यमंत्री को बदनाम किया गया है.
उन्होंने कहा कि जो 17 एकाउंट दिए गए हैं, उसमें से 10 हरेंद्र सिंह रावत और एक मुख्यमंत्री के रिश्तेदार का है. मुन्ना सिंह चौहान ने कहा, ‘जांच में पता चला कि इन 11 खातों में पैसे का कोई लेन देन नहीं हुआ है. बाकी बचे 6 खाताधारकों का भी मुख्यमंत्री से कोई लेना-देना नहीं है.’
उमेश शर्मा पर निशाना साधते हुए मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि उनपर 5 राज्यों में करीब 2 दर्जन मुकदमे दर्ज हैं.
विपक्ष ने मांगा मुख्यमंत्री का इस्तीफा
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद विपक्षी दलों को सरकार को घेरने का अवसर मिल गया है. आज कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल, आम आदमी पार्टी और भाकपा माले ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे की मांग की.
देहरादून में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस की. पार्टी नेताओं ने मामले की जांच होने तक मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग की.
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि राज्य के इतिहास में इस तरह का यह पहला मौका है. इसलिए जांच में निष्पक्षता और पद की गरिमा के संरक्षण के लिए सीएम को नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए.
आम आदमी पार्टी ने भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र पर निशाना साधते हुए उनसे इस्तीफा मांगा है. पार्टी के ट्विटर हैंडल से जारी ट्वीट में कहा गया कि सीबीआ जांच से दुनिया के सामने सच्चाई आएगी.
भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने भी प्रेस बयान जारी कर हाइकोर्ट के निर्णय को भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर टिप्पणी बताते हुए मुख्यमंत्री से जांच पूरी होने तक इस्तीफा देने की मांग की है.
गौरतलब है कि बीते रोज (27 अक्टूबर) नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को बड़ा झटका देते हुए मीडियाकर्मी उमेश शर्मा के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मुकदमे को निरस्त करने का आदेश दिया था.
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने उमेश शर्मा की याचिका में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच करने का आदेश भी सुनाया.
जस्टिस रवींद्र मैठाणी की एकल पीठ ने बीते रोज मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था.
पूरा ममला क्या है ?
इस साल 31 जुलाई को सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.
शिकायत के मुताबिक उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी डाक्टर सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान नाम के व्यक्ति ने पैसे जमा किए और ये पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने को कहा.
उमेश शर्मा द्वारा पोस्ट किए वीडियो में डाक्टर सविता रावत को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की बड़ी बहन बताया गया. डाक्टर हरेंद्र सिंह रावत ने इन आरोपों को गलत बताते हुए उमेश शर्मा के खिलाफ शिकायत की थी.
पुलिस जांच में उमेश शर्मा द्वारा किए गए दावे झूठे पाए गए थे जिसके बाद उन पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था.
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