रौबिन सिंह चौहान
फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मुख्य मांग को लेकर बड़ी संख्या में प्रदेशभर के बेरोजगार युवा पिछली दो रातों से खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे हैं.
25 फरवरी को दिन में देहरादून स्थित सचिवालय के बाहर विशाल प्रदर्शन करने के बाद ये युवा रात को वहीं खुली सड़क पर बैठ गए थे.
भारी ओलावृष्टि और बारिश के बीच युवाओं ने इस उम्मीद में रात गुजारी कि अगले दिन सरकार का कोई नुमाइंदा जरूर उनसे बात करने जरूर पहुंचेगा. मगर ऐसा होने के बजाय युवाओं को 26 फरवरी की शाम लगभग चार बजे बस में बिठा कर रेसकोर्स स्थित पुलिस लाइन छोड़ दिया गया.
इससे आक्रोशित बेरोजगार युवाओं ने परेड मैदान के पास धरनास्थल पर तंबू तान दिया और वहीं धरने पर बैठ गए. 26 फरवरी की रात से ये युवा वहीं, धरनास्थल पर डटे हैं.
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले धरना दे रहे इन युवाओं का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती वे धरना स्थल से नहीं उठेंगे.
इन युवाओं की पहली मांग है कि बीती 16 फरवरी को आयोजित हुई उत्तराखंड फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा को रद्द कर 100 दिन के भीतर नए सिरे से परीक्षा कराई जाए और उक्त परीक्षा में हुई धांधली की निष्पक्ष जांच करते हुए दोषियों के खिलाफ शख्त कार्रवाई की जाए.
दूसरी मांग है कि प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त पड़े लगभग 18000 पदों पर भर्ती के लिए 30 दिन के भीतर विज्ञप्ति जारी की जाए.
तीसरी मांग है कि, पिटकुल और यूपीसीएल में जेई के 252 पदों पर हुई भर्ती परीक्षा, जो कि धांधली के चलते रद्द कर दी गई थी, की लंबित जांच को शीघ्र पूरा कर 100 दिन के भीतर इस परीक्षा को दुबारा संपन्न कराया जाए.
युवाओं के चौथी मांग है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की अपर निजी सचिव (2017) की परीक्षा में जिन 2043 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा देने से वंचित किया गया उन्हें मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए.
युवाओं की पांचवीं मांग है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कराई गई टेक्नीशियन ग्रेड-2, शिक्षक और डाटा एंट्री आपरेटर जैसी जितनी भी विवादित परीक्षाओं की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है, उन सभी की जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
इन सभी मांगो को लेकर 25 फरवरी को उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले बड़ी संख्या में बेरोजगार युवाओं ने देहरादून के परेड मैदान से सचिवालय के लिए कूच किया था.
सचिवालय बिल्डिंग से कुछ पहले पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया जिसके बाद वे वहीं सड़क पर बैठ गए थे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के खिलाफ जम कर नारेबाजी की.
उत्तराखंड फारेस्ट गार्ड के 1218 पदों के लिए बीती 16 फरवरी को लिखित परीक्षा आयोजित हुई थी. परीक्षा खत्म होने के कुछ देर बाद सोशल मीडिया में ओएमआर शीट लीक होने से बवाल मच गया था.
परीक्षा में नकल माफिया द्वारा पांच से दस लाख रुपये लेकर नकल कराए जाने की बात भी सामने आई जिसके बाद से परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
इस मामले में राज्य सरकार ने एसआईटी को जांच सौंप दी है. एसआईटी ने प्रदेश के अलग-अलग स्थानों में दर्जनभर मुकदमे दर्ज किए हैं. इस मामले में नकल गिरोह का सरगना बताए जा रहे मुकेश सैनी तथा पौड़ी जिले के सहायक कृषि अधिकारी सुधीर कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है.
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बाबी पंवार का कहना है कि परीक्षा में हुई घांधली उन काबिल अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है जो वर्षों से परीक्षा की तैयारी में लगे थे.
उन्होंने कहा कि नकल माफिया ने जिस तरह ब्लूटूथ और अन्य उपकरणों की मदद से परीक्षा में नकल करवाई वह अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्च चिन्ह है.
संघ के संयोजक कमलेश भट्ट का कहना है कि, एक नहीं बल्कि कई केंद्रों से धांधली की शिकायतें आई हैं, ऐसे में परीक्षा को रद्द करवाया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार परीक्षा रद्द करने का आदोश जारी नहीं करती यह आंदोलन जारी रहेगा.
दूसरी तरफ उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा को रद्द करने से इनकार कर कर चुका है. आयोग का कहना है कि भर्ती परीक्षा में न तो पेपर लीक हुआ और न ही किसी तरह का कोई घोटाला हुआ. आयोग ने कहा कि यह नकल का मामला है, जिसकी जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है.
बीती 23 फरवरी को आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने आयोग की वेबसाइट के जरिए फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा पर स्थिति स्पष्ट करते हुए अभ्यर्थियों से संवाद किया.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में स्थापना के बाद से अब तक आयोग 66 भर्ती परीक्षाएं करवा चुका है, जिनमें से छह में गड़बड़ी सामने आई. एस राजू ने कहा कि जिन छह परीक्षाओं में गड़बड़ी की बात सामने आई, पांच मामलों में आयोग ने स्वयं ही गड़बड़ी पकड़ कर मुकदमा दर्ज कराया.
बहरहाल आयोग द्वारा दोबारा परीक्षा करवाए जाने से इंकार के बावजूद बेरोजगार युवा अपनी मांग पर डटे हैं. ऐसे में आखिर उनकी सुध कौन लेगा, ये अहम सवाल है.
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