कोरोना वायरस संक्रमण के खतरों को देखते हुए उत्तराखंड में 31 मार्च तक के लिए लाकडाउन का ऐलान किया जा चुका है. रविवार 22 मार्च को उच्च अधिकारियों के साथ हुई आपात बैठक के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा की.
बैठक में राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी तथा अन्य बड़े अधिकारी मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि लाकडाउन का निर्णय जनहित में लिया गया है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि लाकडाउन के दौरान लोगों की आवाजाही बंद रहेगी. उन्होंने कहा कि इस दौरान सभी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध रहेंगी. राज्य में 31 मार्च तक सभी परिवहन सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं.
मुख्यमंत्री रावत ने लोगों से यात्रा से बचने की अपील करते हुए कहा कि, लोग जहां हैं वहीं रहने का प्रयास पर्यास करें.
लाकडाउन के दौरान आम जनता को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए मुख्यमंत्री ने सभी जिलाध्कारियों को निर्देश दिए हैं.
लाकडाउन क्या है?
लाकडाउन दरअसल आपातकालीन व्यवस्था है. जिस क्षेत्र में लाकडाउन घोषित किया जाता है, वहां के लोगों को घरों से निकलने से मना किया जाता है. इस अवधि में सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और बुजुर्गों का खास रखना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम जनता को लाकडाउन से परेशान होने की जरूरत नहीं है. लोगों की सहूलियत और जरूरतों का पूरा ध्यान रखते हुए सरकार ने ऐलान किया है कि लाकडाउन की अवधि में लोगों को राशन, पानी, दूध, मेडिसिन आदि आवश्क जरूरतों की पूर्ति कराई जाती रहेगी.
सभी जिलाधिकारियों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया गया है. लोगों से अपने शहर, मुहल्ले न छोड़ने की अपील करते हुए कहा गया है कि जब तक बहुत जरूरी न हो, लोग घरों से न निकलें.
कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए देशभर में 75 जिलों में लाकडाउन का ऐलान किया जा चुका है.
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