आज विश्व फोटोग्राफी दिवस (world photography day) के अवसर पर अपने पसंदीदा फोटोग्राफरों से आपको रूबरू कराता हूं. इनकी खींची एक-एक तस्वीर वो कह देती है जिसे दो हजार शब्दों के बाद भी नहीं कहा जा सकता.
इनकी बेहतरीन फोटोग्राफी देखकर मुझे कभी-कभी बेहद ईर्ष्या होती है, कि काश मैं भी खींच पाता इनके जैसी तस्वीरें.
अरविंद मुदगिल
पौड़ी निवासी अरविंद मुदगिल जी भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद पत्रकारिता में आये. वर्तमान में हिंदुस्तान टाइम्स अंग्रेजी संस्करण, पौडी में कार्यरत है.
बेहद सरल, मिलनसार, मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी हैं अरविंद मुदगिल नें बीते दो दशकों के दौरान अपनी बेजोड़ फोटोग्राफी से पहाड़ के लोकजीवन, लोक संस्कृति से लेकर आमजन की समस्याओं को परिलक्षित करती तस्वीरों को देश दुनिया तक पहुंचाया है साथ ही बेहतरीन डाक्यूमेंट्री के जरिए पहाड़ के पलायन के दर्द को उकेरा है.
अरविंद मुदगिल न केवल कैमरे के धनी हैं अपितु कलम और कूची में भी इनका कोई सानी नहीं है. कोरोना लॉकडाउन के दौरान इन्होंने बेजान लकड़ी पर बेहतरीन कलाकृति कर उन्हें जीवंत कर दिया.
राज तिवारी
जनपद चमोली के गोपेश्वर निवासी और वर्तमान में पंजाब केसरी जनपद प्रभारी / ब्यूरो चीफ राज तिवारी न केवल पत्रकार हैं, अपितु बेहतरीन फोटोग्राफी के लिए भी जाने जाते हैं.
राज तिवारी खासकर चमोली जिले के लोक, लोकजीवन, लोकसंस्कृति, प्रकृति और सांस्कृतिक विरासत को अपनी बेहतरीन फोटोग्राफी से देश दुनिया तक पहुंचाते हैं.
इनकी फोटोग्राफी धरातलीय हकीकत को चरितार्थ करती है. इनकी फोटोग्राफी का हर कोई मुरीद है. ये युवा पीढ़ी के प्रतिभावान कवि भी हैं और गोपेश्वर में सामाजिक सरोकारों से निरंतर जुड़े रहते हैं.
देवेश्वरी बिष्ट
गोपेश्वर निवासी देवेश्वरी बिष्ट पेशे से इंजीनियर हैं. कुछ वर्ष इंजीनियर की नौकरी करने के बाद उन्होने ट्रैकिंग की ओर रूख किया. वो अब तक उत्तराखंड की पहाड़ियों और बुग्यालो में हजारों लोगों को ट्रैक करवा चुकी हैं.
इसके अलावा वो उत्तराखंड की बेहतरीन महिला फोटोग्राफर भी हैं. देवेश्वरी बिष्ट नें अपनी बेहतरीन फोटोग्राफी से पहाड़ को नयी तरह से परिभाषित किया है.
मनोज पटवाल
जनपद रूद्रप्रयाग के ऊखीमठ निवासी मनोज पटवाल बेहतरीन फोटोग्राफर हैं. अपनी बेहतरीन फोटोग्राफी से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है.
पंचकेदारों से लेकर पूरी केदारघाटी को आप इनकी तस्वीरों में देख सकते हैं. ये दर्जनों डाक्यूमेंट्री भी बना चुके हैं और कई फिल्मों में भी कार्य कर चुके हैं.
वर्ष 2014 में हुई नंदा देवी राजजात यात्रा के दौरान वाण से बैदनी बुग्याल, रूपकुंड और होमकुंड तक की यात्रा के बाद वे पूरी तरह फोटोग्राफी और ट्रैकिंग के क्षेत्र में रम गए.
अब तक वे मन्ना माई ट्रैक, पंवाली कांठा, हर की दून, तपोवन, सुंदर वन, सतपंथ, स्वर्गारोहिणी आदि खूबसूरत और रोमाचक स्थलों के शानदार दृश्यों को कैमरे में कैद कर चुके हैं.
मनोज के पास आधुनिक कैमरों का सुंदर कलेक्शन है जिनके जरिए वे एक से बढ कर एक सुंदर तस्वीरें खींचते हैं.
शुभम पंवार
जनपद चमोली के बाटुला (मायापुर) निवासी शुभम पंवार फोटोग्राफी में तेजी से उभरता हुआ नया नाम है. बहुत छोटी उम्र में शुभम पंवार नें अपनी बेहतरीन फोटोग्राफी से लोगों को अपना मुरीद बनाया है.
फोटोग्राफी के प्रति शुभम का जुनुन, लगाव व जज्बा देखने लायक है. पहाड़ की लोकसंस्कृति और लोकजीवन की बेहतरीन फोटोग्राफी से शुभम नें आश्चर्यचकित किया है.
शुभम ने अपने पिता पुष्कर पंवार से फोटोग्राफी के गुर सीखें हैं. फोटोग्राफी को लेकर शुभम की पैनी निगाहें और एकाग्रता उन्हें अलग पंक्ति में खड़ा करती है.
विश्व फोटोग्राफी दिवस पर सभी बेहतरीन छायाकारों को हमारी ओर से ढेरों बधाइयां। आशा और उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में भी आप अपनी बेजोड़ फोटोग्राफी से देश दुनिया को अपने पहाड़ से रूबरू करवाते रहेंगे.
इसके साथ-साथ प्रख्यात पत्रकार और फोटोग्राफर मनोज इष्टवाल, भूमेश भारती, हरीश भट्ट, गोविंद नेगी, त्रिभुवन चौहान, चंद्रशेखर चौहान, विनय केडी, प्रीतम नेगी, सौरभ चौहान, हरपाल सिंह रावत सहित सभी प्रख्यात और बेजोड़ फोटोग्राफरों को भी विश्व फोटोग्राफी दिवस पर ढेरों बधाईयां.
आज मुझे मेरे एक ओर पसंदीदा फोटोग्राफर स्व. दिनेश कंडवाल जी भी बहुत याद आ रहें हैं. उनकी फोटोग्राफी भी बेजोड़ थी. कंडवाल जी को शत्-शत् नमन.
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