भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर भाजपा के मंत्री किस तरह अमल कर रहे हैं,बीते दिनों इसका नमूना देखने को मिला को मिला.
दरअसल वित्तीय गड़बड़ी के चलते गन्ना मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने जिस अफसर को संस्पेंड किया था.
अब उसे मंत्री जी ने उत्तराखंड शुगर्स का जीएम बनवा दिया.और इसके लिए विभागीय सचिव चंद्रेश यादव को विभाग से विदा होना पड़ा.
बता दें कि नादेही शुगर मिल की ऑडिट रिपोर्ट में आर.के.सेठ पर जीएम रहते हुए वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगे थे.
साथ ही उनपर 2016-18 के बीच चीनी चोरी घोटाले का आरोप भी था.मामले की जांच तत्कालीन गन्ना सचिव चंद्रेश यादव कर रहे थे.
इस बीच बीते जून महीने में स्वामी ने भ्रष्टाचार पर सख्त संदेश देते हुए आरोपी अफसर को निलंबित करने का आदेश दिया.
लेकिन कुछ ही महीनों में स्वामी जी का हृदय परिवर्तन हो गया और उन्होंने विभागीय सचिव को एक चिठ्ठी लिख डाली.
जिसमें उन्होंने दागी ;सेठ’ को उत्तराखंड शुगर्स के जीएम पद की जिम्मेदारी देने के आदेश जारी करने के निर्देश दिए.
गन्ना सचिव चंद्रेश यादव ने जांच पूरी हुए बिना आरोपी को बहाल नहीं किया,लिहाज़ा मंत्री जी ने विभाग से उनकी ही विदाई करवा दी,
जिसके बाद हरवंश चुघ को विभाग में सचिव बनाया गया और उन्होंने स्वामी के निर्देशों का पालन करते हुए,
आरोपी आर.के.सेठ को उत्तराखंड शुगर्स की कमान दे दी.वहीं मंत्री जी ने इसकी सफाई में गजब का तर्क दिया है.
उन्होंने कहा कि अफसरों की कमी के चलते ये फैसला लिया गया है लेकिन जांच में दोषी पाए जाने पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
बहरहाल जांच कब पूरी होगी ये तो कहा नहीं जा सकता लेकिन आर.के. सेठ ने बहाल होते ही अपने अंदाज़ में काम करना शुरू कर दिया.
दरअसल उत्तराखंड शुगर्स ने चीनी मिल में तकनीकी संचालन का ठेका नोएडा की एक निजी कंपनी को दे दिया है.
जबकि मिल के पास पर्याप्त मात्रा में तकनीकी स्टाफ है.मिल के एमडी उदयराज ने जीएम यानि आर.के.सेठ को इस बाबत जारी किए हैं.
इसके मुताबिक मिल में ऑफ सीजन में 18 प्रतिशत जीएसटी के अतिरिक्त रिपेयरिंग और मेंटिनेंस का ठेका 1.45 करोड़ और पेराई सत्र में ऑपरेशन और मेंटिनेंस का ठेका 1.50 करोड़ रु. में दिया गया है.
इसमें भी आर.के.सेठ की भूमिका ही संदिग्ध मानी जा रही है.
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