राज्य सभा सांसद, भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए गए देवस्थानम एक्ट को अदालत में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आज नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की. स्वामी की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई शुरू हो सकती है.
राज्य सरकार द्वारा देवस्थानम एक्ट बनाए जाने से नाराज उत्तराखंड के चार धामों से संबंधित तीर्थ पुरोहितों ने पिछले महीने सुब्रह्मण्यम स्वामी से मिल कर इस एक्ट के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की अपील की थी, जिसके बाद स्वामी ने इस पर विचार करने को कहा था.
बीते महीने 17 जनवरी को रात 8:38 बजे स्वामी ने अपने फेसबुक और ट्वीट अकाउंट पर लिखा कि ‘उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में एक कानून बनाया है जो कि असंवैधानिक है. इसको लेकर बहुत से साधुओं ने मुझसे मिल कर जनहित याचिका दयार करने को कहा है. मैं इस पर विचार करूंगा.’
इसके बाद स्वामी लगातार प्रदेश सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल उठा रहे थे.
उत्तराखंड की भाजपा सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में चार धामों समेत प्रदेश के अन्य तीर्थ स्थलों के संदर्भ में ‘उत्तराखंड श्राइन बोर्ड विधेयक’ लाई जिसका नाम बाद में बाद ‘उत्तराखंड देवस्थानम विधेयक,2019 ‘ किया गया.
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य की मंजूरी के बाद यह विधेयक अधिनियम बन गया है.
इस अधिनियम के खिलाफ चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों से लेकर अन्य हक-हकूकधारियों में भारी नाराजगी है.
विधेयक के खिलाफ विधानसभा सत्र के दौरान प्रदर्शन भी किया गया. 18 दिसंबर को उत्तरकाशी में और 20 दिसंबर को श्रीनगर(गढ़वाल) में इस विधेयक के खिलाफ बड़ी रैलियां आयोजित की गईं.
विरोध कर रहे आंदोलनकारियों का कहना है कि यह कानून न केवल तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधरियों बल्कि चार धामों में छोटा-मोटा व्यवसाय करने वाले-घोड़ा-खच्चर,डंडी-कंडी वालों,फूल-प्रसाद बेचने वालों के हितों को भी प्रभावित करेगा.
दूसरी तरफ प्रदेश सरकार इसे राज्य हित में बता रही है. विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देवस्थानम विधेयक चारों धामों के हक-हकूकधारियों के अधिकारों की रक्षा करेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों का प्रबंधन चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा, और मंदिरों से जुड़े तीर्थ पुरोहितों तथा अन्य सभी हक- हकूकधारियों के अधिकार यथावत रहेंगे.
बहरहाल सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका के बाद देवस्थानम एक्ट एक बार फिर से चर्चा में आ गया है.
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