ककड़ी पार्टी जैसे अलहदा आयोजनों से लेकर सोशल मीडिया पोस्ट तक ! पूर्व सीएम हरीश रावत उत्तराखंडी परंपराओं और उत्पादों को बढ़ावा देते नजर आते हैं.
वहीं अब सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने मोदी के गुजरात और केजरीवाल के दिल्ली मॉडल पर उत्तराखंडियत को भारी करार दिया.
दरअसल मोदी के गुजरात मॉडल की ब्राण्डिंग करके भाजपा देश और राज्यों की जनता को रिझाने में कामयाब हुई.
तो वहीं भाजपा की तर्ज पर आम आदमी पार्टी उत्तराखंड चुनाव में दिल्ली मॉडल को भुनाने की कोशिश करती नज़र आ रही है.
AAP की कोशिश है कि शिक्षा,स्वास्थ्य,बिजली,पानी जैसे मुददों के दम पर उत्तराखंड में सियासी जगह बनाई जाए.
लेकिन हरीश रावत ने लंबी-चौड़ी फेसबुक पोस्ट के ज़रिए गुजरात और दिल्ली मॉडल को खारिज किया.
हरदा ने भाजपा के गुजरात मॉडल और डबल इंजन की सरकार को फेल करार दिया.
बकौल हरीश रावत उत्तराखंड, गुजरात मॉडल की विफलताओं की कीमत 2017 से अब तक चुका रहा है.
उन्होंने मंहगायी से लेकर भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से लेकर कोरोना महामारी के प्रबंधन तक पर,भाजपा सरकार की छीछालेदर की.
हरदा ने लिखा-
गुजरात मॉडल, डबल इंजन की सरकार की विफलताओं व निकम्मेपन को उत्तराखंड में 2017 से अभी तक भुगत रहा है. विकास शून्य, केवल बयानबाजी, महंगाई, बेलगाम अर्थव्यवस्था व रोजगार सृजन रसातल की ओर, महिलाओं की पेंशन बंद, अंबानी-अडानी मॉडल पर काम, जमीन पूंजीपतियों को बेच दो, कोविड काल में जनता को अपने भाग्य पर छोड़ दो, कोई व्यवस्था नहीं, न ऑक्सीजन न बेड, मुख्यमंत्री बदलो और हो सके तो चुनाव के समय में विधायकों के टिकट काटकर जनता के सवालों से बचो, यह है गुजरात मॉडल !
वहीं दिल्ली मॉडल पर निशाना साधते हुए पूर्व सीएम ने दिल्ली में शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े किए.
रावत के मुताबिक केजरीवाल शासन में दिल्ली कोई डिग्री कॉलेज,विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज से लेकर ITI तक कोई नया शिक्षण संस्थान नहीं खुला है.
इसके अलावा सड़क और फ्लाईओवर जैसे नए निर्माण भी नहीं हुए हैं.
हरीश रावत ने रोजगार पर सवाल खड़े किए,बकौल रावत दिल्ली में साढ़े सात सालों में महज़ 6 हज़ार लोगों को नौकरी मिली है.
रावत ने लिखा कि दिल्ली के ज्यादातर स्कूल और अस्पताल निजी क्षेत्र के हैं या फिर केन्द्र सरकार से वित्त पोषित हैं.लिहाज़ा इन सेवाओं का दिल्ली मॉडल उत्तराखंड में फिट नहीं बैठता.
हरीश रावत ने अपने 2014-17 के कार्यकाल को उत्तराखंडी मॉडल करार दिया.
और इस दौरान किए गए जनकल्याणकारी कामों को गिनाया.
बकौल रावत 2014 से17 तक वृद्ध, विधवा,दिव्यांग पेंशन 400 से बढ़ाकर 1000 रु. मासिक की गयी साथ ही लाभार्थियों की संख्या में 1 लाख से बढ़कर 1 लाख पहुंची.
साथ ही बौना, पति से अलग हुई और अक्षम महिलाओं, अविवाहित उम्रदराज महिलाओं, शिल्पियों, जगरियों, कलाकारों, पत्रकारों, किसानों, और पुरोहितों को पेंशन योजना में लाया गया.
कन्यादान, गौरा देवी, नंदा देवी जैसी दलित गरीब पोषण योजनाएं, बाल गर्भवती महिला व वृद्ध महिला पोषण आहार योजना लागू हुई.
इसके अलावा भी उन्होंने कई जनकल्याणकारी योजनाओ को गिनाया.
रावत ने स्कूल कॉलेज खोलने समेत इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की दिशा में किए गए तमाम कामों को भी गिनाया.
हरदा ने लिखा कि 2014 से 2016 के बीच राज्य की प्रति व्यक्ति आय ₹73000 से बढ़कर 1 लाख 75 हज़ार रु. पहुंची.जबकि राजस्व वृद्धि ककी दर भी 7% से बढ़कर 9% तक पहुंची.
अपने उत्तराखंडियत के इस मॉडल को पेश करते हुए हरदा ने जनता से इन तीनों मॉडल पर विचार करने की अपील की.
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