प्रदेश के सीमांत जनपद चमोली में 9 वर्षों में 41 गांव अथवा तोक गैर आबाद हुए हैं. इस अवधि में जिले की 373 ग्राम पंचायतों से 14289 लोगों ने स्थायी पलायन किया है.
प्रदेश के ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. पलायन आयोग की इस रिपोर्ट का विमोचन प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते रोज देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास में किया.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा विभिन्न जनपदों की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों के अध्ययन के साथ ही सम्बन्धित जनपदों से हुए पलायन, जनसंख्या, शैक्षिक स्थिति, स्वरोजगार एवं रोजगार की स्थितियों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट तैयार की गई है.
उन्होंने कहा कि जनपदों में इस प्रकार के अध्ययन से आधार भूत सुविधाओं के विकास एवं पलायन रोकने एवं स्वरोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डाक्टर एसएस नेगी ने यह रिपोर्ट प्रस्तुत की. रिपोर्ट के अनुसार जनपद चमोली की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 391605 है. जिले में 9 विकासखण्ड, 12 तहसील तथा 1244 राजस्व ग्राम हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक जिले की कुल जनसंख्या में से 81.78 प्रतिशत आबादी गांवों में तथा 18.22 प्रतिशत आबादी नगर क्षेत्रों में रहती है. गांवों में रहने वाले लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है, मजदूरी और सरकारी सेवा है.
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में पिछले 10 वर्षों में पिछले 10 वर्षों में 373 ग्राम पंचायतों से 14289 लोगों ने पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया तथा 556 ग्राम पंचायतों से कुल 32020 लोगों ने अस्थायी रूप से पलायन किया.
जिले के सभी विकासखण्डों में स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है. जिले में पलायन करने वालों में सबसे अधिक 42 प्रतिशत लोग 26 से 35 वर्ष की उम्र के हैं.
जिले में वर्ष 2001 एवं वर्ष 2011 के मध्य जनसंख्या वृद्धि की प्रतिशत 5.74 प्रतिशत था, जो कि राज्य औसत से कम है. ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि की दर और भी कम है तथा कुछ विकासखण्डों दशोली, पोखरी, कर्णप्रयाग और थराली में यह घटी है.
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2011-12 के अनुसार जनपद चमोली की आर्थिक विकास दर 6.23 प्रतिशत है. राज्य निवल घरेलू उत्पाद के आधार पर वर्ष 2016-17 (अनन्तिम) अनुमानों में जनपद चमोली की प्रति व्यक्ति आय 118448 रुपये अनुमानित है.
आयोग ने रिपोर्ट में गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार करने की सिफारिश की है. साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत एंव सुदृ़ढ़ करना, योजना को नचेबंसम करके विकासखण्ड स्तर पर आर्थिक विकास का एक ढ़ांचा तैयार करने का सुझाव भी सरकार को दिया है.
आयोग ने भूजल पुनर्भरण की योजनाओं को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है. इसके साथ ही सभी योजनाओं के कार्यान्वयन को सामाजिक-आर्थिक उत्थान और ग्रामीण विकास के लिए एक महिला केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने, मनरेगा के तहत समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित करके सभी जनपदों के लिए महिलाओं का प्रतिनिधित्व एवं कौशल विकास को प्राथमिकता दिए जाने पर भी आयोग ने जोर दिया है.
इसके अलावा आयोग ने दीन दयाल अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत सामुदायिक जागरूकता और बैंक लिंकेज को सुदृढ़ बनाने, उत्पादों के विपणन और खुदरा के लिए गतिशील ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित करने के साथ सोशल मीडिया से रणनीति विकसित किये जाने का भी सुझाव दिया है.
आयोग ने स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के लिए लघु उद्योगों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई है. पर्यटन विकास पर ध्यान देने के लिए आयोग ने इको टूरिज्म मास्टर प्लान बनाने का सुझाव दिया है. वन्यजीव पर्यटन, ट्रैकिंग और हाइकिंग, राफ्टिंग, होम-स्टे, जैसी गतिविधियों को जनपद में प्रोत्साहन दिये जाने का सुझाव भी दिया है.
कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष क्षेत्र या विकासखण्ड स्तर पर किसान उत्पादक संगठन का गठन किरने का सुझाव भी आयोग ने दिया है.
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