जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे सरकार लोलुभावन घोषणाएं कर रही है तो वहीं विपक्ष भी पहले के मुकाबले ज्यादा सक्रिय नज़र आ रहा है.
इसके अलावा समाज के विभिन्न दबाव समूह अपनी मांगों को मनवाने के लिए इस चुनावी माहौल में सरकार पर दबाव बनाने की पूरी कोशिश कर रहें हैं.
इस बीच तीर्थ पुरोहितों ने भी देवस्थानम बोर्ड के खात्में के आर-पार का मन बना लिया है.
चार धाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महा पंचायत समिति ने 16 अगस्त से सड़क पर उतरकर प्रदेशव्यापी निर्णायक आंदोलन का ऐलान किया है.
समिति के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने आज ऋषिकेश में पत्रकारों से बातचीत की. जिसमें उन्होंने कहा कि देवस्थानम अधिनियम को समाप्ति की मांग के लिए चारों धाम और 47 मंदिरों के पुरोहित और हक हकूकधारी पिछले 2 सालों से आंदोलनरत हैं.
मगर, सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है.उन्होंने सरकार पर सत्ता के मद में चूर होने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि हम विकास के विरोधी नहीं हैं, चारों धामों में समान रूप से विकास होना चाहिए.मगर, इसके पीछे सरकार की मंशा ठीक नहीं है.
कोटियाल ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड में चारों धामों में पूजा पद्धति और हक-हकूकधारियों के लिए कोई भी प्रवधान नहीं रखा गया है.
बजाय इसके यदि कोई हक-हकूकधारी अपनी भूमि या संपत्ति को क्रय करना चाहे तो वह उसे भी क्रय नहीं कर सकता।
इतना ही नहीं धामों के 50 से 100 मीटर की परिधि में आने वाली भूमि या संपत्ति को कभी भी बोर्ड अपने अधीन ले सकता है
या उन्हें ध्वस्त कर सकता है, जिसकी कोई अपील नहीं की जा सकेगी.उन्होंने कहा यह अधिनियम पूरी तरह से पुरोहित समाज के हितों पर कुठाराघात करता है.
सरकार को कानून लागू करने से पहले तीर्थ पुरोहितों हक हकूक धारियों और नागरिकों के साथ विभिन्न मुद्दों बातचीत करनी चाहिए थी.मगर, सरकार ने इस मामले में एकतरफा निर्णय किया है,
जो हक-हकूकधारियों को खानाबदोश करने का षड्यंत्र है.उन्होंने कहा कि सरकार की मनमर्जी नहीं चलने दी जाएगी.
तीर्थ पुरोहित व हक-हकूकधारी अब निर्णायक आंदोलन के लिए सड़क पर उतरेंगे इसके लिए राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित सभा सहित विभिन्न धार्मिक सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं का सहयोग उन्हें प्राप्त हो रहा है.
और 16 अगस्त से प्रदेश स्तर पर उग्र आंदोलन किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि आंदोलन के तहत धरना, क्रमिक अनशन, बेमियादी अनशन, बाजार बंद, मशाल जुलूस, कैंडल मार्च, पुतला दहन के अलावा जनप्रतिनिधियों का घेराव, काले झंडे दिखाना, काली पट्टी बांधकर विरोध और एक्ट के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा.
उनका ये भी कहना है कि इस आंदोलन में किसी भी तरह की जनधन की हानि के लिए सरकार जिम्मेदार होंगी.
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