विवादों में आई उत्तराखंड फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर आज प्रदेशभर के हजारों बेरोजगारों ने अस्थाई राजधानी देहरादून में जोरदार प्रदर्शन किया.
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले बड़ी संख्या में बेरोजगार प्रदर्शनकारी सुबह 11 बजे देहरादून के परेड मैदान में एकत्रित हुए और वहां से सचिवालय के लिए कूच किया.
सचिवालय बिल्डिंग से कुछ पहले पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया जिसके बाद वे वहीं सड़क पर बैठ गए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के खिलाफ जम कर नारेबाजी की.
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा को रद्द कर नए सिरे से 100 दिन के भीतर परीक्षा आयोजित की जाए. साथ ही इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाए.
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बाबी पंवार ने कहा कि परीक्षा में हुई घांधली उन हजारों काबिल अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है जो वर्षों से परीक्षा की तैयारी में लगे थे.
उन्होंने कहा कि नकल माफिया ने जिस तरह ब्लूटूथ और अन्य उपकरणों की मदद से परीक्षा में नकल करवाई वह अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्च चिन्ह है.
संघ के संयोजक कमलेश भट्ट ने कहा कि, एक नहीं बल्कि कई केंद्रों से नकल की शिकायत आई है, ऐसे में परीक्षा को रद्द करवाया जाना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि जब तक सरकार परीक्षा रद्द करने का आदोश जारी नहीं करती यह आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष को बर्खास्त करने की मांग भी की.
उत्तराखंड फारेस्ट गार्ड की परीक्षा 16 फरवरी को हुई थी. परीक्षा खत्म होने के कुछ देर बाद सोशल मीडिया में ओएमआर शीट लीक होने से बवाल मच गया था.
परीक्षा में नकल माफिया द्वारा पांच से दस लाख रुपये लेकर नकल कराए जाने की बात भी सामने आई जिसके बाद से परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
इस मामले में राज्य सरकार ने एसआईटी को जांच सौंप दी है. एसआईटी ने प्रदेश के अलग-अलग स्थानों में दर्जनभर मुकदमे दर्ज किए हैं.
इस मामले में पुलिस नकल गिरोह का सरगना बताए जा रहे मुकेश सैनी तथा पौड़ी जिले के सहायक कृषि अधिकारी सुधीर कुमार को गिरफ्तार कर चुकी है.
उत्तराखंड बेरोजगार संघ का कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने वर्ष 2018 तथा 2019 को रोजगार वर्ष के रूप में घोषित किया था, तथा जुलाई 2019 में प्रदेश के विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े 18000 पदों को जल्द भरने की बात कही थी, मगर लगभग 8 माह बीत जाने के बाद भी इस प्रकरण पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. संघ ने मांग की है कि 30 दिनों के भीतर इन सभी पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की जाए.
साथ ही वर्ष 2016 में पिटकुल और यूपीसीएल में जेई के 252 पदों की भर्ती में हुई गड़बड़ी का खुलासा कर उचित कार्यवाही करने की भी उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने मांग की है.
संघ ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा करवाई गई अपर निजी सचिव, वर्ष 2017 की मुख्य परीक्षा में हुए विवाद का समाधान निकलने की भी मांग की है.
उस परीक्षा में 2043 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा देने से वंचित किया गया था. संघ ने कहा कि 122 पदों के सापेक्ष मात्र 153 अभ्यर्थियों को मान्य ठहराया गया जबकि अमान्य ठहराए गए अभ्यर्थियों के पास उत्तराखंड में चल रहे विभिन्न कंप्यूटर संस्थानों से प्राप्त एक वर्षीय पाठ्यक्रम का सर्टिफिकेट था.
इसके साथ ही अत्तराखंड बेरोजगार संघ ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की अन्य विवादित परीक्षाओं, जिनमें टेक्नीशियन ग्रेड-2 , शिक्षक और डाटा एंट्री आपरेटर परीक्षा शामिल हैं की जांच पूरी कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.
Discussion about this post