इस बार तीलू रौतेली पुरस्कार सुर्खियों में है. पहले तो पुरस्कार विजेताओं की चयन प्रक्रिया विपक्ष के निशाने पर गयी.
और अब महिला स्वयं सहायता समूह चलाने वाली दो विजेताओं ने पुरस्कार लौटा दिया है.इनमें से एक गीता मौर्य है तो दूसरी श्यामा देवी हैं.
गीता देवी को पिछले साल 2020 में उत्कृष्ट स्वयं सहायता समूह के तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.इसके लिए 2018 में उन्हें केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी सम्मानित किया था.
लेकिन सरकार के एक फैसले से नराज़गी जाहिर करते हुए उन्होंने पुरस्कार वापसी का फैसला लिया है.
दरअसल हरीश रावत के कार्यकाल में ‘टेक होम योजना’ शुरू हुई थी.
योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आगनबाड़ी केन्द्रों में राशन पहुंचाती थी.
लेकिन मौजूदा सरकार ने टेक होम योजना के लिए ई-टेंडर जारी किए हैं.
पुरस्कार वापसी के ऐलान के दौरान गीता मौर्य ने सरकार पर महिलाओं का रोजगार छीनने का आरोप लगाया.
साथ ही उन्होंने कहा कि जिस काम के लिए उन्हें केंद्र और राज्य सरकार ने प्रोत्साहन और सम्मान दिया गया. वहीं काम आज उनसे छीना जा रहा है.
उन्होंने इस तरह के फैसलों को स्वयं सहायता समूहों अस्तित्व पर खतरा करार दिया.
गीता के समर्थन में इस बार तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित हुई श्यामा देवी ने भी पुरस्कार वापस कर दिया.
श्यामा भी स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को रोजगार मुहैया करवाती हैं.
इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर निशाना साध चुके हैं.
हरदा ने भी इस टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की थी.
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