उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के खतरों से ग्रस्त प्रदेश है जहां, हिमस्खलन,बाढ़,भूस्खलन,भूकंप का खतरा बना रहता है.
जिनसे निपटने के लिए शासन प्रशासन से लेकर वैज्ञानिक तक प्रयासरत रहते हैं,इसी कड़ी में
आईआईटी रुड़की ने भूकंप की चेतावनी देने के लिए एक मोबाईल ऐप तैयार किया है.
‘‘उत्तराखंड भूकम्प अलर्ट” नाम की इस मोबाइल ऐप को आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लॉन्च किया.
एप्लिकेशन एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म के लिए उपलब्ध हैं.इस प्रोजेक्ट को यूएसडीएमए यानि उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने स्पांसर किया है.
इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है.
इस एप के माध्यम से लोगों को भूकंप पूर्व चेतावनी मिल सके,इसके लिए इस ऐप की जानकरी अधिक से अधिक लोगों तक जानी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनके पास एंड्राइड फोन नहीं है, उन्हें भी एसएमएस के जरिए अलर्ट भेजा जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भूकंप पूर्व चेतावनी के लिए यह एक अच्छी पहल है.
इस दौरान आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, कि परियोजना के तहत राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के ऊंचे इलाकों में सेंसर लगाए गए हैं.
भूकम्प से संबन्धित डेटा आईआईटी रुड़की के ईईडब्ल्यू सिस्टम प्रयोगशाला, सीओईडीएमएम स्थित सेंट्रल सर्वर में आते हैं.
डेटा स्ट्रीम करने के लिए हाईस्पीड दूरसंचार का उपयोग किया जाता है जबकि उच्च प्रदर्शन वाले कम्प्युटर गणना काम करते हैं.
केंद्रीय सर्वर 24 × 7 आधार पर लगातार पुनर्प्राप्त डेटा को संसाधित करता है.
मोबाइल ऐप की खासियत बताते हुए प्रोजेक्ट के प्रधान परीक्षक प्रो. कमल ने कहा कि यह दुनिया का एकमात्र ऐप है.
जो भूकम्प के दौरान दुर्भाग्यवश फंस गए लोगों का स्थान रिकॉर्ड करता है और आपदा सहायता बल को इसकी सूचना देता है.
शुरुआती तौर पर आईआईटी रूड़की ने देहरादून और हल्द्वानी में सार्वजनिक सायरन लगाने में उत्तराखंड सरकार की मदद की.ताकि आपदा आने से पहले लोगों को सचेत किया जा सके.
लेकिन पूरे राज्य को यह चेतावनी देने के लिए समय और संसाधन की कमी देखते हुए संस्थान ने सायरन के बदले अन्य उपाय करने का फैसला किया ताकि एक साथ अधिक से अधिक लोगों को चेतावनी दी जा सके.
लिहाज़ा ऐप विकसित की गयी. उन्होनें बताया कि भूकम्प के अलर्ट के लिए यूजर को केवल यह ऐप इंस्टॉल करना है और इंस्टॉलेशन के दौरान कुछ जरूरी जानकारियां दर्ज करनी है.
ऐप में ज्ञानवर्धक वीडियो हैं जो भूकम्प के दौरान जीवन रक्षा की सिलसिलेवार जानकारी देते हैं.
यह ऐप एसओएस मैसेज में वर्तमान लोकेशन भी भेजता है जिसके लिए स्थान की अनुमति देनी होगी.
ऐप इंस्टाल करने के दौरान यूएसडीएमए से लोकेशन साझा करने की अनुमति देने की सलाह दी जाती है.
इस तरह लोकेशन साझा करने से आपादा की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को ढ़ूढ़ना और बचाव दल का जल्द पहुंचना आसान होता है.
ऐप तक चेतावनी के संकेत इंटरनेट के माध्यम से पहुंचते हैं.इसलिए यूजर से इंटरनेट से जुड़े रहने का अनुरोध किया जाता है.
ऐप डेटा का इस्तेमाल केवल भूकम्प की सूचना देने के दौरान करता है.
यूजर्स को इसके अतिरिक्त भूकम्प के समय सुरक्षा के आवश्यक कदम देखने-समझने की सलाह दी जाती है.
ऐप में कई वीडियो लिंक समेत यूजर की बेहतर समझ के लिए डेमोंस्ट्रेशन भी दिए गए हैं ताकि आपदा के समय बेहतर तैयारी से बचाव करें.
मानव जीवन को बेहतर बनाने और संकटों से बचाने में तकनीक और विज्ञान का अहम योगदान है.लिहाज़ा भूंकप अलर्ट देने वाली इस ऐप की शुरूआत भी प्रशंसनीय है.
हलांकि ये ऐप कितनी कारगर साबित होती है.ये देखने वाली बात होगी.
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