कहते हैं कि सियासत में विरोधी नेताओं में एक अलिखित करार होता है कि पांच साल आप खाओ और पांच साल हम !
ये ही वजह है कि चुनावी मंचों से एक दूसरे को ललकारने वाले नेता सत्तानशीन होने के बाद एक-दूसरे की करनी पर पर्दा डाल देते हैं.
ऐसा ही 2009-10 का एक मामला इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. वो है ढैंचा बीज घोटाला !
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह की बात पर यकीन किया जाए तो सियासी तालमेल की ये पांच साल वाली कहावत उत्तराखंड में सच साबित होती है.
दरअसल कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस सरकार में रहते हुए उन्होंने ढैंचा बीच घोटाले में त्रिवेन्द्र सिंह रावत को बचाया था.जिसमें कि तत्कालीन सीएम हरीश रावत, त्रिवेन्द्र सिंह रावत को गिरफ्तार करवाना चाहते थे.
हरक के इस बयान के बाद कांग्रेस और भाजपा तो असहज होगीं ही लेकिन सूबे में जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी को बैठे बिठाए दोनों दलों पर हमलावर होने का मौका मिल गया.
इस मामले पर AAP के सीएम उम्मीदवार कर्नल कोठियाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा और कांग्रेस पर सांठगांठ करने का आरोप लगाया.
कोठियाल ने कहा कि हरक सिंह रावत के बयान से साफ हो गया कि,भाजपा और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलु हैं
दोनों ही दल सत्ता में आने के बाद कार्रवाई करने के बजाए एक दूसरे के भ्रष्टाचार पर चुप्पी साध लेते हैं.जिसकी कीमत आम जनता को चुकानी पड़ती है.
कोठियाल ने कहा विजय बहुगुणा के कार्यकाल में इस घोटाले के ऊपर त्रिपाठी आयोग बनाया गया,
जिसने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा था कि ढैंचा बीज खरीद में घोटाला हुआ है लिहाजा त्रिवेन्द्र सिंह रावत पर कार्रवाई होनी चाहिए
लेकिन विजय बहुगुणा के बदलते ही ,हरीश रावत मुख्यमंत्री बने और उन्होंने इस जांच को दबा दिया और इसके बाद 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी,
और तमाम सबूतों को दरकिनार करते हुए त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर त्रिवेंद्र सिंह रावत को क्लीन चिट दे दी गयी.
कोठियाल ने हरीश रावत पर निशाना साधते हुए मामले में ढ़ील देने के आरोप में उन्हें भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा संरक्षक करार दिया.
उन्होंने कहा कि AAP इन दोनों दलों की फिक्सिंग के जनता के बीच रखेगी.
जनता की उम्मीदों पर खरा उतरकर दोनों पार्टियों की फ्रेंडली पॉलिटिक्स से प्रदेश को मुक्ति दिलाएगी.
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