वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस के प्रकोप ने उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चार धाम यात्रा को भी बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आज प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट बेहद सादगी के साथ खोले गए. इन धामों के कपाट खोले जाने के वक्त इस बार न तो पिछले वर्षों की तरह भक्तों की मौजूदगी थी और न ही भव्यता.
अक्षय तृतीया के मौके पर आज सुबह आठ बजे गंगा की डोली भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर से गंगोत्री पहुंची. दूसरी तरफ यमुना की डोली अपने शीतकालीन प्रवास खरसाली से सुबह 8:05 पर रवाना हुई और 11 बजे यमुनोत्री पहुंची.
वैदिक मंत्रोच्चारण और पूजा-अर्चना के साथ गंगोत्री धाम के कपाट 12:35 तथा यमुनोत्री के कपाट 12:41 पर खोले गए. इस अवसर पर धामों के तीर्थ पुरोहितों और चंद प्रशासनिक अधिकारियों की ही मौजदगी रही.
कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद प्रदेश के चारों धामों में कपाट खुलने की प्रक्रिया को बेहद सादगी से पूर्ण करने का निर्णय लिया गया है.
आगामी 29 अप्रैल को केदारनाथ और फिर 15 मई को बदरीनाथ के कपाट भी इसी तरह बिना श्रद्धालुओं की मौजूदगी में खोले जाएंगे. केदारनाथ की डोली आज बेहद सादगी भरे माहौल में अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से गौरीकुंड के लिए रवाना हो गई.
वर्षों बाद यह पहली बार हुआ जब केदारनाथ की डोली को वाहन के जरिए ले जाया गया. केदारनाथ की डोली को शीतकालीन प्रवास से केदारनाथ मंदिर तक भक्तों की भारी मौजूदगी में कंधों पर ले जाया जाता रहा है. इसी तरह बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के वक्त भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी रहती है.
मगर इस बार कोरोना वायरस के खतरे ने चारधाम यात्रा के इस मुख्य आकर्षण को तो छीन ही लिया है साथ ही इस यात्रा से उत्तराखंड को होने वाले आर्थिक लाभ पर भी कड़ी चोट कर दी है.
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