देव स्थानम् बोर्ड ! एक ऐसा मुद्दा जिस पर पंडा समाज के साथ ही विपक्षी दल सरकार के खिलाफ हैं,
लेकिन खास बात ये है कि भाजपा को खाद-पानी देने वाले संघ और विहिप जैसे उसके अनुषांगिक संगठन भी इस बोर्ड के खिलाफ हैं.
बावजूद इसके अभी तक कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला और सरकार ने हर मुद्दे की तरह इस पर भी उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर दी है.
लेकिन इस कमेटी ने भी अब साफ कर दिया कि बोर्ड किसी भी कीमत पर भंग नहीं होगा.
समिति के अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी ने ऋषिकेश में आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की.जिसमें उन्होंने अपना रुख साफ किया.ध्यानी ने सियासी नेताओं पर पंडा-पुरोहितों को गुमराह करने का आरोप लगाया.
ध्यानी ने कहा कि एक्ट को पूरी तरह से पढ़े बिना ही विरोध किया जा रहा है.उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड यात्रियों की सुविधा के लिए बनाया गया है. और ये किसी के भी हक-हकूकों को नहीं छीनता.
उन्होंने कहा कि किसी भवन में अगर कोई खामी हो तो उसे जमींदोज़ करने के बजाए उसमें सुधार किया जाता है.किसी धारा पर आपत्ति है तो उस पर बात करें लेकिन बोर्ड भंग करने की बात करना गलत है.
लिहाज़ा विरोध करने वाले सभी पक्षों को आपत्ति दर्ज करने के लिए बुलाया गया है.ध्यानी ने आपत्तियों का निस्तारण कर सरकार को जल्द ही रिपोर्ट भेजने का भरोसा दिया.
गौरतलब है कि त्रिवेन्द्र सरकार ने 2019 में देवस्थानम एक्ट पास किया.जिसके तहत देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड बनाया गया.मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल कमिश्नर को CEO की जिम्मेदारी दी गई.
और प्रदेश के चारों धामों समेत 51 मंदिरों को बोर्ड के अधीन लाया गया.दरअसल बोर्ड के तहत मंदिरों के चढ़ावे का हिसाब-किताब और प्रबंधन सरकार की निगरानी में है.
जिसका तीर्थ पुरोहित विरोध कर रहे हैं.हालांकि सरकार का दावा है कि बोर्ड के जरिए मंदिरों और धर्मस्थलों का विकास होगा.
बहरहाल चुनावी साल में तीर्थपुरोहितों और विपक्षियों के विरोध के बाद देवस्थानम बोर्ड की क्या तस्वीर उभरती है ये तो समय आने पर ही साफ होगा.
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