उत्तराखंड में 16 जनवरी, 2021 को कोविड टीकाकरण का कार्य शुरू हुआ था. तब से लेकर 27 मई, 2021 तक राज्य में लोगों को 35,36,840 डोज वैक्सीन दी जा चुकी हैं.
21,72,760 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है, जबकि 6,82,040 लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी हैं.
उत्तराखंड की अनुमानित आबादी 1.15 करोड़ है. इसी तरह राज्य में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों की अनुमानित आबादी 66 लाख है.
यदि यह अनुमान सही है तो हमें 66 लाख आबादी के लिए कम से कम 1.32 करोड़ डोज वैक्सीन की जरूरी होगी (इसमें खराब होने वाली वैक्सीन की संख्या शामिल नहीं हैं).
हर्ड इम्यूनिटी के लिए उत्तराखंड में कुल आबादी के कम से कम 70 प्रतिशत हिस्से को वैक्सीन की दोनों डोज दिया जाना आवश्यक है.
अब तक सामने आये नतीजों के आधार पर कहा जा सकता है कि उत्तराखंड की 70 प्रतिशत आबादी (80 लाख से ज्यादा) आबादी को सम्पूर्ण टीकाकरण करने में 16 से 18 महीने और लगेंगे.
यानी कि यह टीकाकरण की वर्तमान प्रगति बनी रहती है तो हमारी 70 प्रतिशत आबादी को अगले वर्ष यानी 2022 के अंत तक या छोटी तिमाही तक ही वैक्सीनेट किया जा सकेगा.
इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि अभी तक जो नतीजे सामने आये हैं, उनके अनुसार वैक्सीनेशन में कई बाधाएं आ रही हैं.
जब तक इन बाधाओं को दूर नहीं किया जाता तब तक सर्विलांस, डेथ रेट और पॉजिटिविटी रेट को देखते हुए लॉकडाउन लगाने या खोलने को लेकर कोई सम्मत निर्णय लिया जाना चाहिए.
उत्तराखंड को देश के दूसरे राज्यों द्वारा उठाये जा रहे कदमों की नकल करने के बजाय राज्य की विषम परिस्थितियों और अब तक के विकास को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाना चाहिए.
इस लघु पत्रक में कुछ ऐसे बिन्दु दिये जा रहे हैं, जिन पर अमल करके सरकार राज्य की पूरी आबादी के टीकाकरण के काम को आगे बढ़ाने में उपयोग कर सकती है.
पहली डोज
हमें प्रयास करने होंगे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों या सभी लोगों को हर हाल में वैक्सीन की पहली डोज दी जाए.
इसके साथ ही हमें उन लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो उम्र के और स्वास्थ्य की दृष्टि से संवेदनशील है.
लक्षित वर्ग और हॉट स्पॉट
अब तक मिले संकेतों के अनुसार कहा जा सकता है फिलहाल उन वर्गों पर फोकस किया जाना चाहिए जो टीबी, डायबिटीज आदि के मरीज हैं और अभी तक वाइरस की चपेट में नहीं आये हैं.
हमें प्रयास करना चाहिए कि हम उन जगहों पर वैक्सीनेशन न करें, जहां संक्रमण तेजी से फैल रहा है.
जहां उचित व्यवस्थाएं नहीं हैं, वहां भी वैक्सीनेशन नहीं कि जाना चाहिए, ताकि लोगों को वैक्सीनेशन के तुरंत बाद संक्रमण जैसी स्थिति से बचाया जा सके.
वैसीनेशन सेंटर और मोबाइल वैक्सीनेशन
उत्तराखंड जैसे छोटे और पर्वतीय राज्य के लिए आवश्यक है कि छोटे लेकिन, संख्या में ज्यादा वैक्सीनेशन सेंटर बनाये जाएं.
अब तक हमारे वैक्सीनेशन सेंटर में कम या मध्यम संख्या में लोग टीका लगवाने पहुंचे हैं. ऐसे में हमें बहुत बड़े वैक्सीनेशन कैंप के बजाए छोटे -छोट कैंप लगाने की जरूरत है.
राज्य के पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग की आवश्यकता है. शहरी क्षेत्रों में भी बुजुर्गों के लिए मोबाइल टेस्टिंग एक अच्छी पहला साबित हो सकती है। हरिद्वार से इस तरह की सेवा शुरू कर दी गई है और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से 600 से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है. इसे और विस्तार देने की जरूरत है.
संभावित स्थल
वैक्सीनेशन रणनीति में वैक्सीनेशन वाली जगहों में परिवर्तन करने की व्यवस्था जरूरी है.
उदाहरण के तौर में यदि मैदानी जिलों में ज्यादा मामले आने लगें तो हम वैक्सीनेशन को उन जिलों में फोकस करें जहां पॉजिटिव मामलों की संख्या और पॉजिटिविटी रेट कम हो.
वैक्सीन का भंडारण व खरीद
वैक्सीनेशन का स्तर कम होने की स्थिति में राज्य सरकार पहले से किये गये भंडारण की मदद से उसे बढ़ा सकती हैं.
भंडारण (स्टॉकिंग) पर ध्यान देने की आवश्यकता है. यह भी ध्यान रखना होगा कि हमारे पास वैक्सीन स्टोरेज और फ्रीज करने की पर्याप्त सुविधा हो.
वैक्सीन की मात्रा बढ़ने की स्थिति में कोल्ड चेन को प्रॉपर तरीके से मेंटेन रखा जा सके और उसे वेस्ट होने से बचाया जा सके.
ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया अभी राज्य में पूरी तरह से बंद है.
वैक्सीन निर्माता कंपनियों से जल्द से जल्द बात करके सप्लाई चैन को स्थापित करने की आवश्यकता है.
एडवोकेसी
राज्य सरकार का दायित्व है कि वह सिर्फ केंद्र से मिलने वाले निर्देशों की प्रतीक्षा करने के बजाए अपने स्तर पर और राज्य की जरूरत के अनुसार केन्द्र सरकार से बातचीत करके इस दिशा में आगे बढ़े.
उत्तराखंड को अपने सीमावर्ती राज्य होने और पर्यटक व श्रद्धालु प्रदेश होने का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए.
सेना एवं अर्द्ध सैनिक बल
देश के सैन्य एवं अर्द्धसैनिक बलों में उत्तराखंड का योगदान सर्वविदित है.
राज्य के सैन्य और अर्द्ध सैन्य बलों में काम करने वाले और सेवानिवृत्त हो चुके लोगों के साथ उनके परिवारों का सरकारी और प्राइवेट सेंटर्स पर निःशुल्क टीकाकरण आवश्यक है.
राज्य सरकार को इसके लिए केंद्र सरकार से बातचीत करके लाभ उठाना चाहिए.
विशेषज्ञ सलाह
यह अच्छी बात है कि राज्य में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम का गठन किया गया है.
लेकिन यहां इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि इस ग्रुप पर अफसरशाही हावी न हो.
विशेषज्ञों का यह दल तथ्यों का अध्ययन करके वैज्ञानिक तरीके से रणनीति तैयार करे.
जन स्वास्थ्य के मुद्दे पर विशेषज्ञों की टीम द्वारा लिए गये फैसलों को आधार बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। इसमें अधिकारियों के हस्तक्षेप के कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
बेस्ट प्रेक्टिस
देश के अन्य गांवों, नगरों, शहरों, जिलों अथवा विभिन्न राज्यों में अपनाई जा रही रणनीति और कार्य प्रणाली का अध्ययन किया जाना चाहिए और जहां जो कुछ बेहतर किया गया है, उसे उत्तराखंड में अपनाया जाना चाहिए.
नोट : राजस्थान के नागौर जिले के खुदी कलां गांव का उदाहरण साझा किया जा रहा है. 1 मई, 2021 तक इस गांव में 60 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी थी. स्थानीय प्रशासन के अनुसार इस गांव में इस आयुवर्ग के एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई.
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