उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं,और गुजरते वक्त के साथ गुटबाज़ी,दल-बदल,वार-पलटवार खुलकर सामने आने लगी है.
धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह और पुरोला विधायक राजकुमार के भाजपा में आमद ने पार्टी का हौंसला बढ़ाया.
तो वहीं अंदरखाने चल रही गुटबाजी भाजपा को असहज भी कर रही है.पार्टी में कांग्रेस का बागी खेमा भाजपा में बागी तेवर दिखाने लगा है.
विधायक उमेश शर्मा काऊ से रायपुर के स्थानीय भाजपा नेताओं से हुई झड़प के मामले में हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज सरीखे पूर्व कांग्रेसी नेता खुलकर काऊ के समर्थन में उतर आए हैं.
तो वहीं हरक सिंह रावत के एक बयान ने फिर से पार्टी को असहज कर दिया है.
हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने ही पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ढैंचा बीज मामले में बचाया था.अगर ऐसा उन्होंने ऐसा न किया होता तो त्रिवेन्द्र सीएम होने की बजाए जेल में होते.
हरक सिंह रावत के मुताबिक तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने ढैंचा बीच मामले में उन्हें त्रिवेन्द्र की गिरफ्तारी करने को कहा था,
लेकिन तब उन्होंने हरीश रावत की बात न मानकर उन्हें जेल जाने से बचाया था.
वहीं मामले पर पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने हरक सिंह की बात को गंभीरता से न लिए जाने की बात कही.
उन्होंने कहा कि हरीश रावत जब दिल्ली एम्स में भर्ती थे, तो उन्होंने ढैंचा बीज मामले की फाइल अपने सिरहाने दबाए रखी,
तब उन्होंने कहा कि हरीश रावत इस फाइल की फोटो स्टेट कराकर सचिवालय के चारों ओर चिपका दें,जनता खुद फैसला कर लेगी कि ढैंचा बीज मामले में कोई भ्रष्टाचार हुआ या नहीं.
गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरक सिंह रावत के रिश्तों में खासी तल्खी है.
जो अक्टूबर में तब और खुलकर सामने आयी जब त्रिवेन्द्र ने पिछले साल अक्टूबर में सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हरक सिंह रावत को हटा दिया था.
बहरहाल चुनाव से ठीक पहले इस तरह की बयानबाजियां भाजपा के लिए खतरे की घंटी है.
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