30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या ने पूरे विश्व को झकझोर दिया था.
देश की राजधानी दिल्ली स्थित बिरला भवन में गांधी जी को उस वक्त गोली मार दी गई गई जब वे शाम की प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे.
31 जनवरी को गांधी जी का अंतिम संस्कार किया गया. बापू की अंतिम यात्रा में लाखों की संख्या में लोग शामिल हुए.
आइए जानते हैं बापू के जीवन के आखिरी दिन क्या-क्या हुआ.
30 जनवरी 1948 को शुक्रवार था. महात्मा गांधी हमेशा की तरह सुबह 3.30 बजे उठ गए थे.
प्रार्थना के बाद उन्होंने पिछली रात लिखे कांग्रेस के संविधान के मसौदे को संशोधित करना शुरू किया. महात्मां गांधी द्वारा लिखा गया यह अंतिम दस्तावेज साबित हुआ.
गांधी जी ने सुबह 7 बजे पहली मुलाकात राजन नेहरू से की. सुबह करीब साढ़े नौ बजे गांधी जी ने नाश्ता किया, जिसमें बकरी का दूध, सब्जियां, सलाद शामिल था.
इसके बाद गांधी जी फिर से कांग्रेस के संविधान के मसौदे के संशोधन में जुट गए.
कुछ देर आराम करने के बाद गांधी जी ने मिलने आने वालों से भेंट की.
ब्रिटिश प्रेस में तब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तथा उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के बीच के मतभेदों को उछाला जा रहा था, जिससे गांधी जी चिंतित थे.
इसी सिलसिले में दोपहर बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल उनसे मिलने आने वाले थे.
सरदार पटेल से वार्ता के बाद गांधी जी शाम सात बजे जवाहर लाल तथा मौलाना आजाद से बातचीत करने वाले थे.
कुछ देर आराम करने के बाद गांधी जी से मिलने वालों का दौर शुरू हो गया. आखिरी दिन देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ ही विदेशी लोगों ने भी उनसे मुलाकात की.
लगभग 3.15 बजे फ्रांस के प्रसिद्ध फोटोग्राफर हेनरी कार्टियर-ब्रेसन ने उन्हें अपने चित्रों की एल्बम भेंट दी.
लोगों से मुलाकात का सिलसिला चार बचे समाप्त हुआ. अब सरदार पटेल के आने का वक्त होने वाला था.
ठीक चार बजे सरदार पटेल अपनी पुत्री तथा सचिव मणिबेन के साथ बिरला भवन पहुंचे. गांधी जी और पटेल वार्ता में लीन हो गए.
सायं 4.30 बजे गांधी जी ने आखिरी भोजन किया जिसमें बकरी का दूध, सब्जियां, संतरे, सवाल अदरक, नींबू, मक्खन और जूस था. भोजन करते वक्त सरदार पटेल के साथ उनकी बातचीत जारी रही.
इसके बाद गांधी जी ने अन्तिम बार अपना प्रिय चरखा काता.
सायं 5.00 बजे गांधी जी उठे, चप्पल पहनी और कमरे से बाहर आए. ठंड के चलते उन्होंने गरम शाल ओढ़ी थी.
आभा और मनु के साथ गांधी जी प्रार्थना स्थल की ओर बढ़ने लगे. आज गांधी जी को प्रार्थना में देर हो गई थी.
प्रार्थना स्थल पर बड़ी ताताद में लोग गांधी जी का इंतजार कर रहे थे. साधारण कपड़ों में 20 पुलिसकर्मी भी वहां मौजूद वहां थे. सीढ़ियों पर पहुंचकर गांधी जी ने हाथ डो कर लोगों का अभिवादन किया.
हमेशा की तरह लोगों ने गांधी जी के लिये रास्ता बनाया.
इसी दौरान हत्यारा नाथूराम गोडसे राह बनाता हुआ गांधी जी की तरफ बढ़ा. उसने दोनों हाथ जोड़े हुए थे, जिनके बीच उसने पिस्तौल छुपाई हुई थी.
वह गांधी जी को प्रणाम करने के लिए झुका और बोला, ‘नमस्ते गांधी जी’ गांधी जी ने उत्तर में हाथ जोड़े.
मनु ने प्रार्थना के लिये देरी का हवाला देते हुए गोडसे से हटने का अनुरोध किया. इसी क्षण उसने बाएं हाथ से मनु को धकेल दिया और बापू के शरीर पर तीन गोलियां दाग दी.
गांधी जी जमीन पर गिर पड़े.
शाम के लगभग 5.17 बजे थे. यह दुखद खबर लोगों तक पहुंचने लगी.
गांधी जी की हत्या की खबर मिलते ही सरदार पटेल, जो कुछ समय पहले ही गांधी जी से मिल कर गए थे, वापस बिरला भवन आ गए.
एक व्यक्ति डाक्टर डीपी भार्गव को साथ लेकर आया. गोली लगने के दस मिनट बाद डाक्टर भार्गव ने गांधी जी की जांच की और कहा कि बापू जीवित नहीं हैं. इसके बाद डाक्टर जीवराज मेहता ने बापू की मृत्यु की पुष्टि की.
इस बीच प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी बिरला भवन पहुंच गए. वे गांधी जी के पास बैठे और रोने लगे. इसके बाद बापू के सबसे छोटे बेटे देवदास, शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद और अन्य लोग भी पहुंचने लगे.
देवदास ने पिता के शरीर को छूकर देखा तो पाया कि वह अभी भी गर्म था. उनका सिर आभा की गोद में था और चेहरे पर एक शांत मुस्कान थी. ऐसा लग रहा था मानो वे सो रहे हों.
उस पल को याद करते हुए देवदास ने बाद में लिखा ‘हम लोग रात भर उनके पास बैठे रहे. उनका चेहरा इतना शांत था और शरीर को घेरती हुई ऐसी सौम्य दिव्य ज्योति व्याप्त थी कि शोक मनाना मानो अपराध हो.’
बाहर, लोगों का हुजूम उमड़ने लगा था जो अपने प्यारे बापू के अन्तिम दर्शन को व्याकुल थे. बिड़ला हाउस की छत पर बापू को शव को इस तरह रखा गया कि नीचे सभी लोग उनके दर्शन कर सकें.
आधी रात को बापू के शरीर को नीचे कमरे में ले जाया गया. सारी रात शोकाकुल लोग सुबकियां भरते रहे.
31 जनवरी को बापू का अंतिम संस्कार किया गया. बापू की अंतिम यात्रा में जन सैलाब उमड़ पड़ा था.
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