उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली ने एक बार फिर एक गर्भस्थ शिशु की जान ले ली. उत्तरकाशी जिले से सुदूरवर्ती क्षेत्र मोरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में शुक्रवार को प्रसव के दौरान नवजात शिशु की गर्भ में ही मौत हो गई.
मोरी विकासखंड के सुदूरवर्ती गंगाड़ गांव की 24 वर्षीय गर्भवती प्रियंका को यदि समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो शायद उनके गर्भस्थ शिशु की जान बचाई जा सकती थी.
अफसोसजनक यह है कि पीड़िता को उसके परिजन कंधों में लाद कर 14 किलोमीटर पैदल चल कर सड़क तक पहुंचे जिसके बाद एंबुलेंस न मिलने पर निजी वाहन से पीड़िता को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी पहुंचाया गया.
रात करीब आठ बजे डाक्टरों के प्रयासों के बाद भी गर्भस्थ शिशु को नहीं बचाया जा सका. महिला की हालत स्थित बताई जा रही है.
प्रभारी चिकित्साधिकारी डाक्टर फराज खान ने बताया कि रास्ते में अधिक रक्तस्राव होने के कारण शिशु की मौत हुई.
महिला के पति प्यारे लाल का कहना है कि महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस को फोन किया मगर जवाब आया कि एंबुलेंस ठीक होने के लिए देहरादून गई हुई है.
विकासखंड मोरी की सुदूरवर्ती बड़ासु पट्टी के चार गांव गंगाड़, ओसला, ढाटमीर, और पंवाणी तक सड़क न होने के चलते यहां के लोगों को कई किलोमीटर पैदल चल कर आना पड़ता है.
ऐसे में गंभीर बीमारियों के मरीज और प्रसव पीड़िताएं कई बार रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं.
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गेशर लाल का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, खस्ताहाल दूरसंचार सेवा, और सड़क न होने के चलते इस क्षेत्र में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, जो दुर्भाग्य की बात है.
कोरोना के कठिन दौर में जब पूरी दुनिया का ध्यान इस खतरनाक वायरस और इससे जुड़ी खबरों पर है, तब उत्तराखंड के सुदूरवर्ती मोरी इलाके से आई इस दुखद खबर ने एक बार फिर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को बेपर्दा कर दिया है.
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