उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की है. आज गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानसभा में बजट पेश करने के बाद मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की.
घोषणा के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे ऐतिहासिक पल बताया. मुख्यमंत्री ने कहा कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का निर्णय उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि गैरसैंण को शहीदों से सपने के अनुरूप विकसित किया जाएगा.
उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल समेत मंत्रिमंडल के सदस्यों तथा भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुए इसे राज्य हित में लिया गया ऐतिहासिक फैसला बताया. विपक्षी कांग्रेस की अभी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया नहीं आई है.
भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के संकल्प पत्र में गैसरैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की बात कही थी. पिछले दिनों बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट और कर्णप्रयाग के विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री से भराड़ीसैंण सत्र के दौरान गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का आश्वासन मिलने की बात कही थी, जिसके बाद गैरसैंण को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई थी.
दूसरी तरफ उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, भाकपा माले नेता इंद्रेश मैखुरी ने ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा को उत्तराखंड के साथ छलावा बताया है. मैखुरी ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि ग्रीष्मकालीन-शीतकालीन का खेल स्थायी राजधानी की मांग को हाशिये पर डालने की त्रिवेंद्र रावत सरकार की साजिश है। उन्होंने कहा कि
50 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबे 13 जिलों के छोटे से प्रदेश में दो राजधानियां औचित्यहीन और जनता के धन की बर्बादी है.
स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के संयोजक, राज्य आंदोलनकारी, वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी ने भी ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा को उत्तराखंड के साथ छल बताते हुए कहा कि गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी नहीं बल्कि स्थाई राजधानी की घोषणा की जानी चाहिए. उन्होंने राज्य की संघर्षशील ताकतों से स्थायी राजधानी के लिए निर्णायक संघर्ष की अपील की.
उत्तराखंड में राजधानी का मुद्दा राज्य गठन के वक्त से ही लटका हुआ है. अभी तक राज्य की स्थायी राजधानी तय नहीं है. उत्तराखण्ड राजधानी के तौर पर गैरसैंण का नाम सबसे पहले 60 के दशक में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने प्रस्तावित किया था. वर्ष 1989 में उत्तराखंड क्रांति दल के संस्थापक डीडी पंत और विपिन त्रिपाठी ने गैरसैंण को उत्तराखंड की प्रस्तावित राजधानी के रूप में शामिल किया था. राज्य आंदोलन के समय से ही गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए जाने की मांग चलती आ रही है.
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