भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने पहली लहर के मुकाबले भारी तबाही मचाई थी.
पहली लहर बुजुर्गों और बीमारों के घातक थी तो वहीं दूसरी लहर ने युवाओं को अपना निशाना बनाया.
महामारी आने वाले वक्त में कैसा रूप धारण करेगी इसका अनुमान लगाने के लिए वैज्ञानिक सर्वे किया जाता है जिसे सीरो सर्वे कहा जाता है.
कोरोना महामारी के इस दौर में चौथा सीरो सर्वे सम्पन्न हुआ जिसकी रिपोर्ट आईसीएमआर यानि इंडियन कांउसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने मंगलवार को जारी की.
सर्वे में पाया गया कि देश में 6 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में से करीब एक तिहाई आबादी पर कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है.
यानी करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोना संक्रमण का खतरा हैं. सीरो सर्वे में दो तिहाई आबादी में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पायी गयी.
यह एंटीबॉडी या तो संक्रमण से बनी है या फिर वैक्सीन लगाने के बाद.
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने चौथे सीरो सर्वे के नतीजे साझा करते हुए कहा कि जिन इलाकों में ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी नहीं बनी है. उन इलाकों में कोरोना की तीसरी का लहर आने का खतरा बना हुआ है.
उन्होंने बताया कि सर्वे में शामिल 6 -17 साल के बच्चों में आधे से ज्यादा सीरो पॉजिटिव मिले.
सर्वे में 28975 लोगों के सैंपल लिए गए साथ ही 7252 स्वास्थ्यकर्मियों सैंपल लिए गए.यह सर्वे जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई पहले हफ्ते तक 21 राज्यों के 70 जिलों में किया गया.
सर्वे में पाया गया कि 6 से 9 साल के बच्चों में 57.2 फीसदी में एंटीबॉडी मिली. यानी वह कोरोना से संक्रमित हो चुके थे.
इसी तरह 10 से 17 साल के बच्चों में 61.6 फीसदी, 18-44 साल में 66.7 फीसदी, 45-60 साल में 77.6 फीसदी और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में 76.7 पर्सेंट में एंटीबॉडी मिली.
इसमें या तो संक्रमण की वजह से एंटी बॉडी बनी या फिर वैक्सीन लगने के बाद.
जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी थी उनमें 62.3 प्रतिशत लोगों में सीरो प्रिवलेंस मिला.
यानी इतने लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके थे.
जिनमें वैक्सीन की एक डोज ही लगी, सर्वे में शामिल उन लोगों में 81 प्रतिशत लोगों में एंटी बॉडी मिली.
दोनों डोज लगने के बाद 89.8 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिली.
सर्वे में शामिल हेल्थ केयर वर्कर्स में 85.2 प्रतिशत लोगों में एंटी बॉडी मिली. इनमें से 10 फीसदी लोगों ने वैक्सीन नहीं ली थी.
बता दें कि पहला सीरो सर्वे पिछले साल मई-जून में किया गया था जिसमें 0.7 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिली.
पिछले साल अगस्त-सितंबर में यह 7.1 प्रतिशत फिर दिसंबर-जनवरी में 24.1 प्रतिशत और अब जून-जुलाई में किए गए सर्वे में 67.6 पर्सेंट लोगों में एंटीबॉडी मिली.
सर्वे के आकडों से भविष्य में राहत की उम्मीद की जा सकती है लेकिन किसी भी तरह की लापहरवाही बड़े खतरे का कारण बन सकती है.
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव का कहना है कि सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक या किसी भी तरह के एकत्रीकरण से बचना चाहिए.
बेहद जरूरी ना हो तो ट्रैवल नहीं करना चाहिए और पूरी तरह वैक्सिनेटेड होने के बाद ही ट्रैवल करना चाहिए.
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