उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं और कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री डॉक्टर इंदिरा हृदयेश को आज रानीबाग (हल्द्वानी) के चित्रशिला घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.
इंदिरा हृदयेश का कल 80 वर्ष की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया था.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित भाजपा और कांग्रेस के तमाम नेता आज इंदिरा हृदयेश को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे.
बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भी इंदिरा हृदयेश को श्रद्धांजलि दी.
करीब पांच दशक लंबे राजनीतिक जीवन में इंदिरा हृदयेश ने कई मुकाम हासिल किए.
60 के दशक में एक अशासकीय विद्यालय में अध्यापिका रही इंदिरा हृदयेश कद्दावर कांग्रेस नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के संपर्क में आने पर राजनीति में आई थीं.
पहली बार सन 1974 में मात्र 32 वर्ष की आयु में वह गढ़वाल कुमाऊं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से उतर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य बनीं और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.
इसके बाद 1986, 1992 और 1998 में भी अविभाजित उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए चुनी गईं.
वर्ष 2000 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता बनीं और 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में हल्द्वानी से चीत कर तिवारी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं.
2007 में इंदिरा हृदयेश विधानसभा का चुनाव हार गईं थीं. 2012 में उन्होंने दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीता और विजय बहुगुणा व हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं. 2017 में तीसरी बार जीतने के बाद वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनीं.
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