उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के निर्देश दिए गए थे.
उत्तराखंड सरकार द्वारा दायर की गई विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज यह आदेश दिए.
उत्तराखंड सरकार ने बीते रोज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र पर लगे आरोपों की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी.
कल देहरादून में भाजपा विधायक और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने प्रेस कांफ्रेंस कर सीएम त्रिवेंद्र का पक्ष रखा था.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए मुन्ना सिंह चौहान ने हाईकोर्ट के फैसले को गलत बताया था.
हाईकोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कल मुन्ना सिंह चौहान ने कहा, ‘यह मामला साक्ष्यों को एकत्र करने का विषय है, बावजूद इसके हाईकोर्ट ने इस एफआईआर को निरस्त कर दिया. यह फैसला कानूनन गलत है.
चौहान ने कहा, ‘ मुख्यमंत्री को पार्टी नहीं बनाया गया, उन्हें कोई नोटिस जारी नहीं किया गया. ऐसे में कोर्ट का यह फैसला गलत है.
चौहान ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ता हरेंद्र सिंह रावत द्वारा उमेश शर्मा के खिलाफ तहरीर दी गई थी, जिसके आधार पर केस किया गया है.
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि उमेश शर्मा ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि हरेंद्र रावत की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से कोई रिश्तेदारी नहीं है. उन्होंने कहा कि गलत जानकारी देकर मुख्यमंत्री को बदनाम किया गया है.
उन्होंने कहा कि जो 17 एकाउंट दिए गए हैं, उसमें से 10 हरेंद्र सिंह रावत और एक मुख्यमंत्री के रिश्तेदार का है.
मुन्ना सिंह चौहान ने कहा, ‘जांच में पता चला कि इन 11 खातों में पैसे का कोई लेन देन नहीं हुआ है. बाकी बचे 6 खाताधारकों का भी मुख्यमंत्री से कोई लेना-देना नहीं है.’
उमेश शर्मा पर निशाना साधते हुए मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि उनपर 5 राज्यों में करीब 2 दर्जन मुकदमे दर्ज हैं.
विपक्ष ने किया प्रदर्शन
वहीं आज इस मामले में कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में राजभवन कूच किया.
आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया. कांग्रेस और आप कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा हाथीबड़कला के पास रोक दिया गया.
गौरतलब है कि बीते 27 अक्टूबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को बड़ा झटका देते हुए मीडियाकर्मी उमेश शर्मा के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मुकदमे को निरस्त करने का आदेश दिया था.
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने उमेश शर्मा की याचिका में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच करने का आदेश भी सुनाया.
जस्टिस रवींद्र मैठाणी की एकल पीठ ने बीते रोज मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था.
पूरा ममला क्या है ?
इस साल 31 जुलाई को सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.
शिकायत के मुताबिक उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी डाक्टर सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान नाम के व्यक्ति ने पैसे जमा किए और ये पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने को कहा.
उमेश शर्मा द्वारा पोस्ट किए वीडियो में डाक्टर सविता रावत को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की बड़ी बहन बताया गया.
डाक्टर हरेंद्र सिंह रावत ने इन आरोपों को गलत बताते हुए उमेश शर्मा के खिलाफ शिकायत की थी.
पुलिस जांच में उमेश शर्मा द्वारा किए गए दावे झूठे पाए गए थे जिसके बाद उन पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था.
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